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रायपुर। भिलाई की एक छात्रा को राजधानी के एक दुकानदार ने खराब लैपटॉप बेच दिया। नया लैपटॉप कुछ महीने में ही बंद हो गया, जिसके कारण छात्रा की पढ़ाई ठप हो गई। छात्रा ने केवल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए ही लैपटॉप खरीदा था। उपभोक्ता फोरम ने इसके लिए दुकानदार को दोषी ठहराते हुए नया लैपटॉप देने का आदेश दिया है और दुकानदार के इस कृत्य के लिए डेढ़ लाख रुपए क्षतिपूर्ति देने का फैसला सुनाया है। स्मृति नगर भिलाई की सुकृति राजपूत ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए 2 अक्टूबर 2012 को लालगंगा स्थित विकास की दुकान कम्पुएज से लेनोवो कंपनी का लैपटॉप क्रय किया था, जिसका दाम 30,500 रुपए था। खरीदी के बाद लैपटॉप अचानक बंद हो गया। वारंटी समय में उसने सर्विस सेंटर से संपर्क किया, तो पता चला कि दुकानदार ने उसे झूठा बिल थमाया है। दुकानदार ने गलती स्वीकार करते हुए नया बिल देने का आश्वासन दिया, लेकिन नया बिल दूसरे के नाम पर देने की बात कही। इसके लिए छात्रा तैयार हो गई, लेकिन दुकानदार ने दूसरा बिल देने में भी उसके साथ धोखा किया। उस बिल को लेकर जब वह सर्विस सेंटर पहुंची, तो उसे पता चला कि उक्त नंबर का बिल पहले ही जारी किया जा चुका है और उसकी वारंटी भी खत्म हो गई है। उपभोक्ता के त्रुटिजन्य कार्य और हठधर्मिता के कारण लैपटॉप खराब हुआ है। इसके लिए वह स्वयं उत्तरदायी है। वारंटी पत्र से लैपटॉप की खराबी दूर की जा सकती है, लेकिन उपभोक्ता ने कंपनी और दुकानदार से सही व्यवहार नहीं किया, जो उपभोक्ता की स्वयं की गलती है।
दुकानदार ग्राहकों से शिष्ट व्यवहार करें
जिला उपभोक्ता फोरम की अध्यक्ष मैत्रेयी माथुर ने कहा कि दुकानदार महंगे उपकरणों की दुकान तो खोल लेते हैं, लेकिन ग्राहकों से सही व्यवहार नहीं करते हैं। दुकानदार यह संवेदना भी नहीं रखते कि कोई छात्र और उसके माता-पिता कितनी मेहनत से इतनी मोटी रकम जुटा पाते हैं, जिसके एवज में दुकानदार मोटी रकम लेकर सही सामान सप्लाई नहीं करते। उन्होंने कहा कि दुकानदार ने उपभोक्ता से फर्जीवाड़ा कर खराब सामान बेचा है। इस मामले में फोरम ने उपभोक्ता को लैपटॉप की कीमत ब्याज सहित देने और छात्रा की पढ़ाई प्रभावित होने के एवज में एक लाख रुपए क्षतिपूर्ति और मानसिक कष्ट के लिए 50 हजार रुपए देने का आदेश दिया है।

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