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मानसिक संत्रास और बैटरी, चार्जर भी देने होंगे
इंदौर। खंडवा की उपभोक्ता अदालत ने एक ब्रांडेड कंपनी का खराब मोबाइल देने और बाद में उसे सुधारने में कोताही करने के मामले में विक्रेता पक्षों को न केवल मानसिक संत्रास की राशि बल्कि चार्जर, बैटरी समेत अन्य उपकरण तुरंत देने के निर्देश दिए हैं।
एलआईजी कॉलोनी निवासी शब्बीर अली सुल्तान अली ने बाम्बे बाजार स्थित कंचन इलेक्ट्रॉनिक्स से कार्बन कंपनी का मोबाइल 9990 रुपए में 6 मार्च 2013 को खरीदा था। मोबाइल तीन माह बाद ही खराब हो गया। जिसे शब्बीर ने आयुषी इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सर्विस सेंटर पर जमा करा दिया। यहां से एक सप्ताह में सुधारकर देने का आश्वासन दिया गया। एक सप्ताह के बाद शब्बीर से 50 रुपए लिए गए, जिसकी कोई रसीद नहीं दी गई और मोबाइल वापस करते हुए कहा गया कि इसके पार्ट्स हैदराबाद से आएंगे, तब बदले जाएंगे। शब्बीर ने कई चक्कर लगाए लेकिन मोबाइल सुधारकर नहीं दिया गया। इस पर उसने उपभोक्ता फोरम में वाद लगाकर मोबाइल की कीमत, मानसिक प्रताडऩा के 5 हजार और 12 प्रतिशत ब्याज दिलाने की मांग की गई। जवाब में विक्रेता कंचन इलेक्ट्रॉनिक्स ने कहा कि मोबाइल उसके पास सुधरने नहीं आया और न वो इसके लिए उत्तरदायी है। जबकि आयुषी सर्विस सेंटर की ओर से कहा गया कि शब्बीर ने चार्जर, केबल आदि भी जमा कराए, जिसकी रसीद उन्हें दी गई हैं। 2 सप्ताह बाद कंपनी से चार्जर-केबल बदलकर देने की सूचना शब्बीर को दी गई लेकिन वो नहीं आया। मोबाइल नहीं दिया गया और न ही उसका कोई 50 रुपए का शुल्क प्राप्त किया गया। कंपनी द्वारा मोबाइल सुधारने की शुल्क 160 रुपए है। इस पर फोरम के अध्यक्ष शैलेंद्र शुक्ला और सदस्य कु. माया राठौर ने आदेश दिया कि शब्बीर को बैटरी, केबल और चार्जर के साथ मानसिक संत्रास के 1 हजार रुपए आयुषी सर्विस सेंटर द्वारा दिया जाए तथा कार्बन कंपनी द्वारा त्रुटिपूर्ण उपकरण देने के लिए 2 हजार रुपए दिए जाएं। यदि निर्धारित तिथि में उपकरण प्रदान नहीं किए जाते हैं, तो मोबाइल का पूर्ण मूल्य दिया जाए।

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