धर्म के नाम पर शराब बंदी क्यों और किसके लिए?

@री डिस्कवर इंडिया न्यूज़

हिंदू धर्म और ईश्वर पर आस्था रखने वाला असली हिन्दू कभी भी अपने धार्मिक स्थलों पर शराब या कोई अन्य नशा करके नहीं जाता है! फिर प्रमुख धार्मिक स्थलों के शहरों में धर्म के नाम पर शराब बंदी क्यों और किसके लिए?

मध्यप्रदेश सरकार प्रदेश के 17 प्रमुख धार्मिक स्थलों के शहरों में शराब बंदी की योजना लाने जा रही है। लेकिन क्या धर्म के नाम पर शराब बंदी ही शराब को बंद करने का एक मात्र उपाय है?

देवता सोमरस का सेवन करते थे! काल भैरव आज भी उज्जैन में मदिरा पान करते हैं। अनादि काल से लेकर आज तक सनातनी हिंदू धर्म को मानने वाले साधु, संत, महात्मा और मठाधीश भारत में गांजा, भांग का सेवन करते चले आ रहे है। फिर धर्म के नाम पर शराब बंदी क्यों और किसके लिए?

शराब बंदी से बेहतर है कि पूरे प्रदेश में नगद (कैश में) में शराब की बिक्री को पूर्णतः बंद किया जाए सिर्फ़ ऑनलाइन पैमेंट के माध्यम से ही शराब की बिक्री की जाए। तब सरकार को पता चलेगा कि किस तबके के लोग कितनी शराब का सेवन करते है और कितना रुपया शराब पीने में खर्च करते है।

शराब बंदी से सूखे नशे और आसपास के शहरो और जिलों में शराब टूरीज्म को बढ़ावा मिलेगा।

शराब बंदी से तंबाकू, गुटका, गांजा, भांग, चरस, अफ़ीम जैसे सूखे नशे को बढ़ावा मिलेगा जो शराब से ज्यादा खतरनाक है।

शराब तस्करों और ब्लैक में शराब बेचने वाले एवं दो नंबर की शराब बेचने वाले माफिया को बढ़ावा मिलेगा।

हर शराब पीने वाला व्यक्ति शराबी नहीं होता है शराब का उपयोग त्रिआयामी है। सभ्य और पढ़े लिखे लोग शराब का सेवन फूड व दवाई के रूप में करते है, गरीब व निम्नवर्ग शराब का सेवन नशे के लिए करते है, अपराधी व अशिक्षित वर्ग शराब पीकर ज़हरीले हो जाते है।

समाज में शराब बंदी की नहीं अपराधी और अशिक्षित लोगों को सुधारने की जरूरत है।

@प्रदीप मिश्रा री डिसकवर इंडिया न्यू्‍ज इंदौर

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