नेक (NAAC) से नहीं करवाई रैंकिंग तो बंद करना पड़ेगा कॉलेज और यूनिवर्सिटी
50 फीसदी प्राइवेट और सरकारी कॉलेजों में लगेंगे ताले यदि नेक (NAAC) से नहीं ली मान्यता : राज्यपाल
न पढ़ाई, न पढऩे का माहौल, न पढ़ाई की सुविधाएं और न ही प्लेसमेंट!? न लैब और न ही लाइब्रेरी!?
इंदौर। मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने राजभवन में सभी यूनिवर्सिटी की एक मीटिंग में कहा है कि प्रदेश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कई बड़े बदलावों के साथ नई व्यवस्था का प्रारंभ हो रहा है! इसमे सही तरीके से विश्व विद्यालय व कॉलेज चलाने वालों को पुरूस्कृत किया जाएगा और जो जिम्मेदारियों की उपेक्षा करेंगे उन्हें दंडित किया जाएगा!
सरकारी और प्राइवेट उच्च शिक्षण संस्थानों, कॉलेजों और यूनिवर्सिटी के हर स्तर पर अब मॉनिटरिंग होगी और परिणाम नहीं देने वालों को सहन नहीं किया जाएगा!
राज्यपाल ने कहा कि अब सिर्फ़ उन्हीं यूनिवर्सिटी और कॉलेजों का भविष्य है जो GC की नेशनल असेसमेंट एंड एक्रिडीएशन कौंसिल (NAAC) की रेंकिंग लेंगे!
नेक (NAAC) कॉलेज और यूनिवर्सिटी की शैक्षणिक गुणवत्ता, शैक्षणिक सुविधाएं, रिज़ल्ट, इंफ्रास्ट्रक्चर, पर्याप्त फैकल्टी और उनकी योग्यता, इंफ्रास्ट्रक्चर, लैब, इनवेस्टमेंट आदि का क्या स्टेट्स और स्तर है के अलावा GC की गाइड लाइंस और नियमों का पालन हो रहा है कि नहीं के आधार पर कॉलेज या यूनिवर्सिटी को मान्यता और स्तर की रैंकिंग क्या है! देती है!
नेक (NAAC) की टीम संबंधित कॉलेज या यूनिवर्सिटी में जाकर पूरी तरह से सभी पहलू की जांच करती है, छात्रों से पूछताछ करती है, रिकॉर्ड चेक करती है उसके बाद उस कॉलेज या यूनिवर्सिटी की रैंकिंग करती है कि फलां कॉलेज या यूनिवर्सिटी A,B,C या D ग्रेड का है!
A++ और A रैंकिंग का मतलब उच्चतम और उच्च स्तर, B++ और B रैंकिंग का उच्च मध्यम और मध्यम स्तर C रेंकिंग का मतलब निम्न स्तर D रैंकिंग का मतलब इस कॉलेज और यूनिवर्सिटी को हक नहीं है कॉलेज और यूनिवर्सिटी चलाने का।
राज्यपाल ने सभी सरकारी और प्राइवेट कॉलेजों और यूनिवर्सिटी को सचेत करते हुए कहा है कि वो जल्द से जल्द नेक (NAAC) से अपनी रेंकिंग करवा ले। नहीं तो भविष्य में बिना रैंकिंग के कॉलेज और यूनिवर्सिटी चलाना संभव नहीं होगा!?
राज्यपाल लालजी टंडन का यह कदम छात्र हित में है और न सिर्फ सराहनीय वरन स्वागत योग्य है। यदि राज्यपाल के ये कथन कानून के रूप में लागू हो गए तो उन कॉलेजों और यूनिवर्सिटीयों के लिए बहुत मुश्किल हो जाएगी जिन्होंने शिक्षा को शुद्ध व्यवसाय समझ रहा है! डमी कॉलेज डाल कर बैठे हैं! कोचिंग की दलाली कर रहे हैं! सरकारी छात्रवृत्ती हड़प रहे हैं! अयोग्य शिक्षक वो भी अपर्याप्त मात्रा मे भर्ती कर रहे हैं! न लेब हैं न लाइब्रेरी! न लेक्चरर है न प्रोफेसर! न मिशन है न विजन! और सबसे महत्वपूर्ण न पढ़ाई है न पढऩे का माहौल न सुविधाएं और न ही प्लेसमेंट!?