@प्रदीप मिश्रा री डिसकवर इंडिया न्यू्ज इंदौर
वैष्णव विद्यापीठ प्राइवेट यूनिवर्सिटी के अखबारों में दिए जा रहे विग्यापनो में किए जा रहे दावे झूठे, फर्जी और कूट रचित दस्तावेजों के आधार पर है!
जिन विदेशी यूनिवर्सिटी से एम ओ यू का करार करना बताया जा रहा है! जिसमें मुख्यतः हीयांग यूनिवर्सिटी साउथ कोरिया और सेंट क्लाउड यूनिवर्सिटी (यू एस ए) से! यदि आप वैष्णव विद्ध्यपीठ प्राइवेट यूनिवर्सिटी की वेबसाइट www.svvv.edu.in पर जाकर इन एम ओ यू के दस्तावेजों को देखोगे तो प्रथम दृष्ट्या इनकी हकीकत और वास्तविकता का आप को पता चल जाएगा!
सन 2017 के मात्र दो महीनों में बिना साउथ कोरिया, और अमेरिका जाये वैष्णव विद्ध्यपीठ प्राइवेट यूनिवर्सिटी मे बैठे बैठे ये एम ओ यू बन गए.! न ही दोनों विदेशी यूनिवर्सिटी का कोई लेटर पैड, न कोई स्टाम्प पेपर, न कोई एकेडमिक कोर्स, तकनीक, लैब किसी की कोई बात नहीं और बन गए एम. ओ. यू!?
इसी तरह के फर्जी और कूट रचित एम ओ यू और करार CISCO, TATA POWER, IBM, APPLE, BOSCH india आदि से अपने विग्यापनो में बताया है!?
यदि कोई सक्षम जांच एजेंसी इन एम ओ यू और करार के दस्तावेजों की जांच करे तो इस प्राइवेट यूनिवर्सिटी के दावों और दस्तावेजों की सच्चाई सबके सामने आ जाएगी!?



आज तक UGC इंस्पेक्शन कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की है! और न ही किसी विज्ञापन मे यह बताया है कि डिग्री स्तर पर पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम वैधानिक निकायों AICTE, BCI, COA और ICAR से मान्यता प्राप्त है कि नहीं!? जब उपरोक्त सवालो के जवाब के लिए वैष्णव विद्यापीठ के कुलाधिपति पुरुषोत्तम पसारी को कई बार मोबाइल पर संपर्क किया लेकिन उन्होंने मोबाइल नहीं उठाया ! वही कुलपति उपिन्दर धर ने फ़ोन काट दिया सारे प्रश्न सुनने के बाद !
आखिर ये किसी भी छात्र के भविष्य और कैरियर का सवाल है! ये बाते कोई भी यूनिवर्सिटी छिपा नहीं सकती है!
135 साल पुराने वैष्णव ट्रस्ट के स्वर्णिम इतिहास, और शिक्षा के स्तर पर न सिर्फ सवालिया निशान वरन उसकी साख पर बट्टा लगाने मे श्री वैष्णव विद्ध्यपीठ प्राइवेट यूनिवर्सिटी के चांसलर और ट्रस्ट के स्वयंभू आजीवन अध्यक्ष पुरुषोत्तम पसारी और वॉयस चांसलर उपिन्दर धर अपनी तरफ से कोई कसर बाकी नहीं रखने के लिए सारी हदें पार कर रहे हैं!
वैष्णव ट्रस्ट जो कभी इंदौर के कपड़ा व्यापारियों का ट्रस्ट हुआ करता था! जो आज ट्रस्ट के स्वयंभू अध्यक्ष पुरुषोत्तम दास पसारी और कुछ वंशानुगत सदस्यों के परिजनों की एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह काम करने वाली एक निजी जेबी संस्था मे तब्दील हो चुका है है! परमार्थ और मदद ये अब इस कंपनी के लिए बीते इतिहास की बात हो चुकी है!
वंशानुगत सदस्यों ने ट्रस्ट के नाम से संचालित होने वाले स्कूल और कालेज आपस में बांट लिए है!
वही दूसरी तरफ स्वयंभू अध्यक्ष ने एक कदम आगे बढ़ते हुए सीधे प्राइवेट यूनिवर्सिटी ही अपने लिए अलग से 8 जनवरी 2015 को साँवेर उज्जैन रोड पर स्थापित कर ली है!
झूठे, फर्जी और कूटरचित दावो के करोड़ों रुपये के विज्ञापन अखबारों और अन्य माध्यमों में खर्चा कर येन केन प्रकारेण छात्रों को बरगलाकर और भ्रमित कर अपनी प्राइवेट यूनिवर्सिटी में भर्ती होने के लिए पिछले तीन – चार सालो से जाल फैलाने मे वैष्णव विद्ध्यपीठ प्राइवेट यूनिवर्सिटी के कुलपति उपिन्दर धर और कुलाधिपति पुरुषोत्तम पसारी कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहे हैं! अखिरकार करोड़ों रुपये के विज्ञापन का पैसा क्या पारमार्थिक ट्रस्ट का उपयोग किया जा रहा है!? ये भी गहन जांच का विषय है!?
@प्रदीप मिश्रा री डिसकवर इंडिया न्यू्ज इंदौर
Your words have a way of touching hearts and inspiring minds Thank you for using your platform to spread love and positivity
I always enjoy your articles. Keep bringing us awesome content!