जागरूकता…: हार्सपावर की गलत जानकारी देकर शोरूम ने की थी धोखाधड़ी
इंदौर। गांव के अनपढ़ किसान को एक फर्म ने खराब ट्रैक्टर दे दिया और जब वो न्याय के लिए कोर्ट पहुंचा और ट्रैक्टर की कीमत समेत मानसिक संत्रास भुगतने के लिए 6.50 लाख रुपयों की ब्याज समेत दिलवाने की गुहार लगाई, लेकिन कोर्ट ने उनके दावों को खारिज करते हुए मात्र 20 हजार रुपए विक्रेता द्वारा गलत जानकारी दिए जाने पर देने का आदेश दिया। मामला ये है कि ग्राम टांडा बरुड़ निवासी भगवान पिता रामलाल यादव ने बिस्टान रोड स्थित सांई ट्रैक्टर्स से आयशर ट्रैक्टर जिसका मॉडल नंबर 5150 था, खरीदा था। इसकी ऑनरोड कीमत 5.95 लाख रुपए थी। इसके बदले भगवान ने कोटक महिंद्रा कंपनी से 4.50 लाख का फायनेंस कराया और शेष 1.45 लाख रुपए नगद देने का वादा किया। इनमें से भगवान ने 40 हजार रुपए नगद दिए और 1.05 लाख रुपए का चेक अपने भाई सीताराम के नाम से चेक दिया। भगवान ट्रैक्टर घर लाया और उसके बाद से ही खराब हो गया। भगवान का कहना है कि न केवल ट्रैक्टर का कलर निकलने लगा बल्कि वो लोड भी नहीं ले रहा था। भगवान का ये भी कहना है कि उसे ट्रैक्टर के 50 हार्सपावर का होने का कहकर बेचा गया था, लेकिन वो असल में 43 हार्सपावर का ही था। उसका कहना था कि न तो ट्रैक्टर को बदलकर दिया गया और न ही उसे ठीक किया गया और न ही ट्रैक्टर का पैसा वापस किया गया। इसके बाद उसने 14 दिसम्बर 2012 को फर्म को नोटिस भेजा लेकिन उसे प्राप्त नहीं किया गया। जिला उपभोक्ता फोरम में वाद दायर कर उसने ट्रैक्टर की कुल कीमत 6 लाख, सेवा में कमी हेतु 50 हजार रुपए खरीदी दिनांक से 18 प्रतिशत ब्याज के साथ दिलवाने की मांग की। जवाब में सांई ट्रैक्टर्स की ओर कहा गया कि भगवान द्वारा दिया गया चेक 29 दिसम्बर को बैंक में लगाया गया जो बाउंस हो गया। चूंकि शेष राशि का चेक भगवान ने अपने भाई सीताराम के नाम से दिलवाया था जिसके खिलाफ धारा 138 के तहत प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष वाद 1760/13 लगाया गया है।
जहां तक 43 हार्सपावर होने की बात है तो इस संबंध में कोई करार दोनों के बीच नहीं हुआ था। फर्म ने अपनी ओर से जो मैकेनिक ट्रैक्टर सुधारने भेजे थे उनकी रिपोर्ट में ट्रैक्टर के पूर्णत: सही होने, कोई समस्या न होने का जिक्र 25 नवम्बर 2012 को किया गया। भगवान को ट्रैक्टर वापस ले जाने की सूचना देने के बावजूद न तो वो ट्रैक्टर वापस ले गया और न ही चेक बाउंस होने वाली शेष राशि दी। उसने किसी इंजीनियर का कोई प्रमाण पत्र भी पेश नहीं किया जिससे स्पष्ट हो कि उत्पाद में कोई त्रुटी थी। कंपनी के अधिकृत सर्विस मैनेजर रणजीत तोमर ने ट्रैक्टर की पूर्णत: जांच करके रिपोर्ट दी कि वो पूरी तरह सही कंडीशन और कंपनी की गुणवत्ता के अनुसार काम कर रहा है। फोरम अध्यक्ष शैलेंद्र शुक्ला, सदस्य रीटा जोशी और अनिल उपाध्याय के समक्ष दोनों पक्षों के दावों पर विचार के दौरान ये मत व्यक्त किया गया कि ट्रैक्टर जब्ती के तथ्य को भगवान ने उजागर नहीं किया है और तकनीकि खराबी के बाद सुधारकर उसे अपना ट्रैक्टर वापस ले जाने के लिए कहा गया जो कि वह नहीं ले गया। इस लिहाज से उसे कोई सहायता प्रदान नहीं की जा सकती। फोरम ने माना कि सांई ट्रैक्टर्स और भगवान के बीच उपभोक्ता और सेवाप्रदाता के संबंध विद्यमान होते हैं। इस प्रकार, ट्ैक्टर के 43 हार्सपावर का ही होने के मामले में फोरम ने कहा कि लेटिन के सिद्धांत के अनुसार क्रेता को स्वयं सावधानी रखना चाहिए कि वह जो वाहन खरीद रहा है, उसकी क्षमता कंपनी की बुकलेट के अनुसार कितनी है। फोरम ने आदेश दिया है कि भगवान को ट्रैक्टर के हार्सपॉवर को लेकर जो गलत जानकारी सांई ट्रैक्टर्स द्वारा दी गई, उसके लिए 20 हजार रुपए की क्षतिपूर्ति दी जाए। भगवान का परिवाद व्यय 1 हजार रुपए भी फर्म द्वारा दिया जाएगा।