भारतीय समाज में सदियो पुरानी विवाह व्यवस्था को यदि आज के संदर्भ में देखा जाए तो न सिर्फ़ यह अमानवीय, अमानुषिक, अव्यावहारिक, अनेतिक, असंगत और अपराधिक है वरन एक तरह से गैर कानूनी भी है! आज भारत में बाल विवाह, बेमेल विवाह, दहेज प्रथा, घरेलु हिंसा जैसी घोर अमानवीय कुरीतियां किसी कोढ़ की बीमारी की तरह हर समाज और धर्म मे व्याप्त है!? और इसकी मुख्य वजह हमारा मौजूदा सदियो पुरानी विवाह व्यवस्था है!
भारत मे लड़कियों मे व्याप्त अशिक्षा! उनको अपने पैरों पर खड़े होने की काबिलियत न पैदा होने देना! आर्थिक रूप से उन्हें सक्षम होने के लिए रोजगार और व्यापार से वंचित रहने देने के लिए यही सदियो पुराना घिसा – पिटा, सड़ा – गला, और सड़ाध मारता हुआ वैवाहिक सिस्टम है! जहां माँ – बाप और परिवार वाले मिलकर एक अबोध, मासूम लड़की के सारे सपनों को न सिर्फ कुचल और मसलकर वरन बिना उसकी सहमति लिए एक अंजान, अज्ञात आदमी फिर चाहे न सिर्फ वह शारीरिक और मानसिक रूप से पूर्णतया बेमेल वरन उम्र मे बड़ा, कुरूप,अज्ञानी, नशेड़ी, दुराचारी से भी कई बार मजबूरी वस या समाज के दवाब की वजह से भी करने से नही हिचकते है!
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बिना प्यार और भावनाओं के इस तरह के वैवाहिक संबंधो मे वैवाहिक शारीरिक संबंध एक तरह से बलात्कार की तरह ही होते हैं! जहां वो मासूम लड़की अपने आप को कैसा महसुस करती होगी इसकी कल्पना मात्र से सिरहन पैदा होने लगती है!
कितने बच्चे पैदा करना है ये पुरुष का अधिकार क्षेत्र है इससे ज्यादा शर्म और अमानवीयता की बात किसी असभ्य समाज में ही हो सकती है!
भारत के इस अमानुषिक विवाह व्यवस्था में लड़की पूर्णतया पराई कर दी जाती है! हद तो तब हो जाती है कि वो अपनी मर्जी से अपने माँ बाप, भाई और परिवार वालों से भी नहीं मिल पाती है!
इस अमानवीय और अपराधिक सदियो पुराने विवाह में सेकड़ो घोर आपत्ति जनक कमियां है जरूरत है इसे अब गैर कानूनी करार देकर एक नई विवाह व्यवस्था को जन्म दिया जाय जो सभ्य समाज के शिक्षित, स्वतंत्र, आज़ाद, प्यार, भावनाओं की बुनियाद पर आधारित हो! दोनों पति पत्नी को सामाजिक, शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से समान स्वतंत्रता हो!