कोटा के कोचिंग माफिया की करतूत
बड़े पैकेज का लालच देकर की शिक्षकों की खरीद-फरोख्त
सीबीएसई स्कूल (cbse school) हो जाओ सावधान… अब तुम्हारा नंबर है
आदमी हो या संस्थान, उसे सर्वश्रेष्ठ बनाती है उसकी सोच, उसकी नीयत। जिंदगी में व्यावसायिक रूप से सफलता के शीर्ष पर पहुंचने का आधार सत्य, नैतिकता व समाज की भलाई होना चाहिए, न कि झूठ, फरेब, लालच, बेईमानी व समाज के शोषण की बुनियाद पर सफलता प्राप्त करने का राक्षसी प्रयास। भारत में शिक्षा एक संस्कार है। संस्कारों से ही सभ्यता व संस्कृति का जन्म होता है। जैसे संस्कार होंगे, वैसी ही सभ्यता व संस्कृति होगी। और आज के युग में जब शिक्षा जैसे पवित्र संस्कारों में झूठ, फरेब, बेईमानी, लालची प्रवृत्ति और व्यावसायिकता का जाल फैला हो, तो आप कल्पना कर लें कि आने वाले समय में भारत की सभ्यता व संस्कृति के क्या हाल होंगे, जिस पर कभी हमें नाज होता था। किसी मेधावी छात्र को उसके शिक्षक से दूर करना या किसी शिक्षक का अपने छात्रों को छोड़कर लालच में, व्यक्तिगत स्वार्थ या व्यावसायिक हित देखकर मात्र पैसों के लिए दूसरे संस्थान में चले जाना ठीक वैसा है, जैसे किसी बच्चे की मां को छोड़कर पिता का दूसरी सुंदर औरत के पास चले जाना, जिसने सिर्फ अपने रंग-रूप, लटके-झटके तथा मार्केटिंग के हथकंडे अपनाकर उसे आकर्षित कर लिया हो। इसके बाद जब पिता अपने बेटे को भी मजबूर करे कि वो भी अपनी सगी मां (संस्थान) को छोड़कर अपनी असंस्कारी सौतेली मां के साथ रहने आ जाए, तो बच्चा क्या महसूस करेगा उस नए माहौल, परिवेश व अजनबी लोगों के बीच जहां उसका पिता (शिक्षक) मात्र 45 मिनट के लिए आता हो।
इंदौर। 3 फरवरी 2015 को इंदौर (indore) के शिक्षा (education) जगत में खासकर कोचिंग संस्थानों के लिए काला दिवस के रूप में आया जब मात्र 4 महीने पहले आए कोटा (kota) के कोचिंग माफिया संस्थान एलेन कोचिंग इंस्टिट्यूट (allen coaching) ने सभी नैतिकताओं मापदंडों, गुरु-शिष्य परंपराओं व शिक्षा जैसे पवित्र संस्कार को शर्मसार करते हुए शहर के सभी बड़े दैनिक समाचार पत्रों में लाखों रुपए का फुल पेज विज्ञापन छपवाया। शहर की प्रतिष्ठित कोचिंग क्लासेस के अधिकांश शिक्षकों को अपने यहां ज्वाइन करने का यह इश्तिहार मय फोटो व मोबाइल नंबर के साथ दिया गया। उस विज्ञापन में शिक्षकों की शैक्षणिक योग्यता व अनुभव को न दर्शाकर उसमें सिर्फ एक्स रैंकर, कैटालाइजर व बीएमसी दर्शाया गया। क्या मतलब था इस विज्ञापन का, सिर्फ और सिर्फ व्यवसायिकता का क्रूर चेहरा। इसका मतलब था इन संस्थानों में पढऩे वाले छात्रों व उनके अभिभावकों को यह संदेश देना कि उपरोक्त प्रतिष्ठित संस्थानों की अधिकांश फैकेल्टी को हमने अपने संस्थान में नियुक्त कर लिया है या खरीद लिया है या बिकने के लिए मजबूर कर दिया है या तो लालच से या धनबल से। कुछ संस्थान के डायरेक्टर व मेंटॉर, जो कभी अपने खुद के संस्थान चलाते थे, वो पूरी की पूरी क्लास व बच्चों समेत पूर्णतया इस माफिया के हाथों बिक गए। यह सब इसलिए किया गया, क्योंकि इस कोचिंग माफिया की नजर अरबों रुपए के बाजार पर है।
यदि यह वाकई इन कोचिंगों से अलग है तो अपनी योग्यता व अपने शिक्षकों की योग्यता के दम पर दिखाता, न कि शहर की प्रतिष्ठित कोचिंगों में वर्षों से पढ़ा रहे शिक्षकों के बल पर वो भी उन्हें लालच देकर। इससे यह साफ होता है कि एलेन को अपने शिक्षकों की योग्यता व अपने बनाए स्टडी मटेरियल पर विश्वास नहीं है और न ही उसके पास काबिल फैकल्टी है। 27 सालों से इसी तरह से फैकल्टियां खरीद रहे हैं,
दूसरे प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थानों से
विज्ञापन (advertisement) सीधे तौर पर यह बताता है कि छात्रों अब तुम्हारी फैकल्टियां जो अब तक तुम्हें काबिल संस्थानों में पढ़ा रही थी वो सब हमने खरीद ली हैं। अब तुम्हारे पास रास्ता नहीं है हमारे संस्थान में भर्ती होने के सिवाय। कोटा के इस कोचिंग माफिया की यह कूटनीतिक, रणनीतिक विचारधारा शिक्षा के क्षेत्र में न सिर्फ सर्वथा गलत है वरन यह शिक्षा जगत, शिक्षा के संस्कारों, छात्रों का अपमान है। एलेन (allen) को गुरु, ज्ञान व शिक्षा का मतलब ही नहीं पता। उसके लिए तो छात्र सिर्फ ग्राहक है और शिक्षक इस ग्राहक को उस तक लाने का जरिया। जहां पर ग्राहक को अरबों रुपए के झूठे विज्ञापन, फर्जी रिजल्ट के दावे, टॉपर को खरीद कर अपने यहां का लालच दिखाकर, समाचार पत्रों, होर्डिंग आदि में छपवाकर, पूर्णतया भ्रमित कर धोखा दिया जा रहा है। एलेन (allen) का इंदौर की प्रतिष्ठित कोचिंग के टीचरों को तोड़कर अपने यहां लाने का मुख्य उद्देश्य म.प्र. के कोचिंग बाजार पर कब्जा जमाना है। उसका इन शिक्षकों की योग्यता से कोई लेना-देना नहीं है। उसका मकसद तो इन शिक्षकों से जुड़े हजारों छात्रों को अपने यहां आकर्षित करना था। मार्च-अप्रैल, मई व जून परीक्षा का वक्त होता है। इस समय छात्र 8वीं, 10वीं, 11वीं, 12वीं, प्रतियोगी परीक्षाओं आईआईटी (iit)/ जेईई (jee)/ एआईपीएमटी (aipmt)/ पीईटी (pet)/ एआईआईएमएस (aiims) जैसी प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। यह उनके भविष्य और कॅरियर के साथ अपने मां-बाप के सपने पूरे करने का वक्त होता है। इसके लिए वो पूरे साल गहन अध्ययन व कठोर परिश्रम करते हैं और परीक्षाओं की तैयारी के इस माहौल में इस तरह के विज्ञापन देकर ऐसी घिनौनी व्यापारिक कूटनीतिक हरकत करना न सिर्फ बच्चों को मानसिक रूप से उद्वेलित कर सकता है, वरन् उन्हें हताशा व निराशा के साथ डिप्रेशन में डाल सकता है। आखिर कौन जवाबदार होगा इस गैर जिम्मेदार कृत्य के लिए…?
कोचिंग के अरबों रुपए के धंधे के माफिया हैं
इनके पास आईआईटी (iit), जेईई (jee) जैसी कठिन इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कराने की योग्यता है भी कि नहीं, यह गहन जांच का विषय है, क्योंकि एलेन मूलत: मेडिकल कोचिंग चलाने वाला संस्थान है। और दूसरी तरफ जितनी भी फैकल्टीज इंदौर के प्रतिष्ठित व सफल संस्थानों से तोड़ी गई हैं, वे मूलत: फिजिक्स व केमिस्ट्री की हैं।
- पूरे देश में फैलाया नेटवर्क
- 700 करोड़ का टर्न ओवर
- साम, दाम, दंड, भेद सब शामिल हंै इसकी रणनीति में
- अरबों रुपए का विज्ञापन बजट
- जहां जाते हैं वहां के शिक्षा जगत में तोडफ़ोड़, शिक्षकों को खरीदना-बेचना शगल है
- कोचिंग को बनाया महंगा
- छोटी-बड़ी कोचिंग को निगला
- सिर्फ व्यापार व प्रवेश परीक्षाओं के बाजार पर नजर
- इंदौर के शिक्षा हब को तहस-नहस करने की पूरी तैयारी
- सन् 1988 में शुरुआत करने वाला एलेन कोचिंग इंस्टिट्यूट शुरुआती दौर में सिर्फ मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश कराने की कोचिंग देता था। सन् 2009 में इसकी नजर इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं के बड़े बाजार पर पड़ी।
७०० करोड़ रुपए का धंधा है एलेन कोचिंग इंस्टिट्यूट का
एलेन कोचिंग इंस्टिट्यूट (allen coaching) के भारत में 5 सेंटरों- कोटा, चंडीगढ़, अहमदाबाद, जयपुर व इंदौर में कुल मिलाकर तकरीबन 70 हजार बच्चे कोचिंग ले रहे हैं। डिस्टेंस लर्निंग के माध्यम से व ई-टैबलेट कोर्स मटेरियल्स को बेचकर व इसके अलावा होस्टल एवं मेस आदि का खर्च तकरीबन 1 लाख रुपए से ज्यादा प्रति छात्र वार्षिक आता है। इस तरह छात्रों व अभिभावकों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर तथा स्कूलों की मिलीभगत से 700 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष कमाया जा रहा है।
क्या मैंने एडमिशन अयोग्य कोचिंग क्लास में लिया था
छात्र व शिक्षक के बीच का रिश्ता बड़ा भावनात्मक होता है। छात्र का भविष्य व कॅरियर बनाने में शिक्षक की भूमिका मां-बाप से बढ़कर होती है। चैम्पियन एकेडमी व इम्पल्स एकेडमी के विज्ञापनों में दर्शाए गए सफलता के दावों को देखकर माता-पिता ने अपने बच्चों को इन संस्थानों में भर्ती कराया था। या तो इन संस्थानों में योग्यता नहीं थी कि वे आईआईटी जैसी परीक्षाओं में छात्रों को सफलता दिला सकें या फिर पैसों का लालच था कि एक दिन रातोरात पूरी चैम्पियन एकेडमी के शिक्षक, डायरेक्टरों ने एलेन कोचिंग (allen coaching) को ज्वाइन कर लिया। वह भी शिक्षकों की हैसियत से। अब चैम्पियन व इम्पल्स कोचिंग ने इन छात्रों का भविष्य बनाने का जो दावा किया था, उसका क्या होगा। उन छात्रों का भविष्य कौन बनाएगा। क्या एलेन। अब इन छात्रों में इस बात का भय है कि कल कोई और आएगा और हमें भी अपने साथ बेच देगा या मजबूर कर देगा। हताशा व डिप्रेशन के लिए।