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चालबाजी…: बीमा कंपनी ने तय के बजाय दूसरी पॉलिसी कर दी
बीमा कंपनी को उपभोक्ता ने जिस पॉलिसी के लिए पैसा दिया, कंपनी ने किसी और पॉलिसी में जमा कर दिया। जब उसने पॉलिसी निरस्त करने का आवेदन दिया, तो कंपनी ने खाते में राशि न होने की बात कहकर इनकार कर दिया। इसे उपभोक्ता ने सेवा में कमी माना और क्षतिपूर्ति की मांग की। उपभोक्ता फोरम ने सहमति जताते हुए बीमा कंपनी को क्षतिपूर्ति अदा करने का आदेश दिया है।
सतना। उपभोक्ता धर्मेंद्र विष्णुस्वरूप अग्रवाल ने एचडीएफसी बीमा कंपनी से पॉलिसी क्रमांक 15174658 रु. 2,00,000 की ली थी। पॉलिसी 31 मई 12 को जारी की गई, लेकिन पॉलिसी सिंगल प्रीमियम क्रय करने की बात हुई थी, लेकिन कंपनी ने यूनिट लिंक्ड सिंगल प्रीमियम प्लान में पैसा जमा न कर ट्रेडिशनल वार्षिक प्लान में 1,99,999 रु. जमा कर पॉलिसी जारी कर दी गई। ये पॉलिसी उसे 11 जून 12 को प्राप्त हुई, जिसे पढऩे पर पता चला कि पॉलिसी सिंगल प्रीमियम के रूप में जारी न कर वार्षिक प्रीमियम के आधार पर जारी की गई है।

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अग्रवाल ने इस पॉलिसी को निरस्त करने हेतु 19 जून 12 को कंपनी को आवेदन मय पॉलिसी बांड के प्रस्तुत किया तथा फ्री-लुक प्रोसेस करने के लिए बीमा कंपनी द्वारा स्वीकार कर एक कैंसल चेक तथा बैंक स्टेटमेंट, आईडी पू्रफ की मांग की, जिसे उन्होंने प्रस्तुत कर दिया, लेकिन कंपनी ने उसके खाते में राशि क्रेडिट नहीं होने की बात कही। अग्रवाल को कंपनी ने बताया कि फ्री-लुक का आवेदन समय पर प्रस्तुत नहीं किए जाने के कारण राशि वापस नहीं हो सकती तथा नियमित रूप से प्रीमियम जमा किया जाना आवश्यक है, जबकि अग्रवाल द्वारा निर्धारित समयावधि में ही आवेदन प्रस्तुत किया गया था। फोरम के नोटिस के जवाब में कंपनी की ओर से कहा गया कि एचडीएफ.सी एसएल क्रीस्ट पॉलिसी प्राप्त करने हेतु 18 मई 12 को अग्रवाल द्वारा भरे गए प्रस्ताव-पत्र के आधार पर ही ट्रेडिशनल वार्षिक प्लान पॉलिसी 10 वर्ष की वार्षिक प्रीमियम के आधार पर 1,99,999 रु. जमा करने पर बीमाधन 19,99,990 रु. के लिए 01 जून 12 को जारी की गई थी। प्रीमियम का भुगतान 5 वर्ष तक किया जाना था, जिसके लिए अग्रवाल को इलेस्ट्रेशन उपलब्ध कराया गया, जिसमें पॉलिसी विवरण में पॉलिसी अवधि 10 वर्ष का उल्लेख किया गया है।
कंपनी का कहना था कि अग्रवाल ने पॉलिसी जारी किए जाने के पश्चात उक्त पॉलिसी फ्री-लुक पीरियड में निरस्त करने हेतु 15 दिन के भीतर कोई आवेदन-पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया और न ही 19 जून 12 को पॉलिसी निरस्त करने हेतु आवेदन-पत्र एवं पॉलिसी बॉण्ड प्रस्तुत किया। बीमा कंपनी ने 19 जून 12 को पॉलिसी निरस्त करने हेतु प्रस्तुत आवेदन-पत्र को फर्जी एवं कूटरचित होना बताकर उक्त पत्र पर बीमा कंपनी की सील एवं किसी भी व्यक्ति के हस्ताक्षर नहीं होना अस्वीकार किया। कंपनी के अनुसार पॉलिसी के क्लाज-5 में स्पष्ट शर्त है कि प्रथम 03 वर्ष तक देय तिथियों पर प्रीमियम भुगतान नहीं किए जाने पर उक्त पॉलिसी लैप्स हो जाएगी एवं इसके बाद पॉलिसी में कोई सरेण्डर वैल्यू अथवा भुगतान देय नहीं होगा। फोरम ने माना कि पावती पर कंपनी के कर्मचारी सूरज भाटिया अथवा अन्य किसी के हस्ताक्षर नहीं होने के संबंध में स्पष्ट एवं पुष्टिकारक साक्ष्य के अभाव में मात्र उपस्थिति रजिस्टर प्रदर्श आर-11 के आधार पर फर्जी एवं कूटरचित पावती होने का निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता। बीमा कंपनी द्वारा पॉलिसी बॉण्ड प्राप्त होने के पश्चात निर्धारित अवधि में पॉलिसी निरस्त किये जाने हेतु प्रस्तुत आवेदन-पत्र के आधार पर पॉलिसी निरस्त नहीं कर, धनराशि वापस नहीं कर सेवा में कमी की है। अत: फोरम ने आदेश दिया कि बीमा कंपनी परिवादी अग्रवाल को 45 दिवस के भीतर बीमाधन राशि 2,00,000 रुपए एवं वाद प्रस्तुति 27 जून 13 से अदायगी दिनांक तक 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज अदा करे। साथ ही वाद -व्यय के 1000 रुपए भी अदा करे।

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