@री डिस्कवर इंडिया न्यू्ज इंदौर
क्या इंदौर का बेशकीमती यशवंत क्लब मात्र कुछ व्यवसायिक परिवारों की जागीर बनकर रह गया है?
पिछले 61 सालो में क्या शहर में मात्र कुछ परिवार ही अभिजात्य, कुलीन, और प्रतिष्ठित होने का दंभ लेकर शहर के प्रतिष्ठित यशवंत क्लब मे कब्जा जमा कर बैठेंगे? क्या क्लब गिने चुने परिवारों की जागीर बनकर रह गया है?
क्लब के नियमो के अनुसार क्लब के सदस्यों के बच्चों को सदस्यता देना अनिवार्य है! बेटी या बेटे की शादी होने के बाद उनके परिवार वाले भी क्लब के सदस्य हो जाते हैं! तो फिर कैसे दूसरे अभिजात्य, कुलीन और प्रतिष्ठित लोगों को मौका मिलेगा यह गंभीर चिंतन का विषय है?
सन 1976 से यशवंत क्लब मे सदस्यों के बीच चुनाव करवाकर क्लब के अध्यक्ष से लेकर पूरी मैनेजिंग कमेटी को चुना जाता है! लेकिन पिछले तकरीबन 50 सालो में कुछ सालो को छोड़ दे तो तकरीबन सभी वर्षो में सिक्ख या पंजाबी समुदाय से ही क्लब का अध्यक्ष चुना जाता है? इन 50 सालो में एक दो बार को छोड़कर तकरीबन सभी चुनावो मे सिक्ख और पंजाबी लॉबी का क्लब की मैनेजिंग कमेटी मे दबदबा रहा है?
पिछले कई दिनों से इंदौर के प्रतिष्ठित यशवंत क्लब विवादों, आरोपों, प्रत्यारोपो की जंग का मैदान बना हुआ है!
40 लाख से ऊपर की आबादी वाले देश के विकसित होते हुए शहरों में शुमार इंदौर शहर मे, पिछले 61 सालो से शहर के मध्य सबसे बेशकीमती 14 एकड़ में स्थित इंदौर के अभिजात्य, कुलीन और प्रतिष्ठित कहे जाने वाले यशवंत क्लब मे सन 2012 की रिपोर्ट के अनुसार मात्र 3759 सदस्य है। और यदि इन 3759 सदस्यों को औसतन प्रति परिवार 5 से 7 सदस्य मान ले तो सिर्फ 500 से 700 परिवारों के बीच यह बेशकीमती 14 एकड़ मे फैले क्लब में अपने दोस्तों, मित्रों, व्यवसायिक मित्रों और परिजनों के साथ देर रात तक पिछले 61 सालो से मजा लूट रहे हैं! इसके अलावा इंदौर व पीथमपूर की बड़ी कंपनियों को भी सदस्यता दे रखी है।
यहां पर शराब, नॉन वेज, के अलावा ताश पत्ते की महफिल देर रात तक चलती है।
2012 की एक रिपोर्ट के अनुसार यशवंत क्लब के कुल 3759 सदस्यों मे से तकरीबन 70 फीसदी सदस्य जैन, वैश्य (अग्रवाल और माहेश्वरी), सिक्ख,पंजाबी और सिंधी समुदाय के परिवारों के है! बाकी के तक़रीबन 20 फीसदी, गुजराती, मराठी और बंगाली परिवार के है! और बचे हुए 10 फीसदी ब्राह्मण, क्षत्रीय, मुस्लिम, ईसाई व अन्य समुदाय के है! एससी, एसटी और ओबीसी न के बराबर है?
3700 सदस्यों मे से तकरीबन 650 सदस्य सिर्फ सिक्ख और पंजाबी परिवारों के सदस्य हैं! 700 के लगभग अग्रवाल और माहेश्वरी परिवारों के सदस्य हैं! तकरीबन 1000 के आस पास जैन परिवार के सदस्य आते हैं! 70 फीसदी सदस्यों का दबदबा इन्हीं तीन समुदायों का पिछले 61 सालो से चला आ रहा है!
ब्रिटिश काल में तत्कालीन होल्कर रियासत के महराज तुको जी राव होल्कर द्वारा शहर के मध्य में 14 एकड़ जमीन पर उस समय के ब्रिटिश अफसरो, अभिजात्य वर्ग और बड़े व्यवसायीयों के मनोरंजन, मेलमिलाप, खेलकूद, बार और डायनिंग के लिए बनाया गया था। इंदौर में क्रिकेट का जन्म और इंदौर अंतरराष्ट्रीय स्तर के ख्याति प्राप्त तत्कालीन खिलाड़ी ने इसी यशवंत क्लब से जन्म लिया था।
देश आज़ाद होने के बाद, जब अंग्रेजी और रियासती हुकूमत का दौर खत्म हो चुका था, तब सन 1964 मे यशवंत क्लब का विधिवत सोसाइटी ऑफ रजिस्ट्रार मे रजिस्ट्रेशन करवाया गया. और क्लब की बागडोर उस समय के गिने चुने बड़े व्यवसायीयों के हाथों में आ चुकी थी! खास बात यह है कि यशवंत क्लब से 2 से 3 किलोमीटर की परिधि में रहने वाले व्यवसायीयों, कुलीन और अभिजात्य कहे जाने वाले वर्ग विशेष के प्रोफेशनल व्यक्तियों और उनके परिवारो को ही इस क्लब का सदस्य बनाया गया। उस समय के समृध्द और बड़े व्यवसायी एम जी रोड, रेस कोर्स रोड, कंचन बाग, मनोरमा गंज, पलासिया, साकेत, गुलमोहर, पलसीकर, वाय.एन रोड पर रहा करते थे।
तकरीबन 23 साल से इंदौर शहर के प्रतिष्ठित यशवंत क्लब मे किसी भी व्यक्ति या परिवार को सदस्यता प्रदान नहीं की गई है!
31 मार्च 2012 तक क्लब के कुल सदस्यों की संख्या 3805 थी। इसमे से 46 सदस्यों जो अति महत्वपूर्ण संवैधानिक और वैधानिक पदो पर विराजमान होते हैं उनको सम्मान स्वरूप प्रदान की जाती है। जिसमें हाईकोर्ट इंदौर खण्डपीठ के पीठासीन सभी जज, इंदौर शहर के सांसद, महापौर, कमिश्नर, कलेक्टर, पुलिस कमिश्नर, इंकम टैक्स कमिश्नर, इंकम टैक्स कमिश्नर (अपील), कमिश्नर कस्टम एंड सेंट्रल एक्सर्साइज, इंदौर नगर निगम कमिश्नर, कमिश्नर GST विभाग, इसके अलावा कई प्रमुख सरकारी महकमों के आला अधिकारियों को भी सम्मान स्वरूप दी जाती है जब तक वो पद पर रहते हैं!
प्रदेश के पीठासीन मुख्यमंत्री को क्लब के अध्यक्ष के रूप में सम्मानीय सदस्यता दी जाती है बशर्ते मुख्यमंत्री जी इसकी स्वीकृति प्रदान करे तब!
@प्रदीप मिश्रा री डिस्कवर इंडिया न्यू्ज इंदौर