@री डिस्कवर इंडिया न्यूज इंदौर 

आज शाम तक मंत्री विजय शाह के खिलाफ एफ.आई.आर हो जाना चाहिए मध्यप्रदेश के DGP साहब। नहीं तो कल हमारे आदेश का पालन न करने के आरोप मे अवमानना की कार्यवाई आपके खिलाफ की जाएगी – मध्यप्रदेश जबलपुर हाइकोर्ट। 

7 साल से लेकर आजन्म कारावास तक की सजा का प्रावधान है, जिन धाराओ मे मध्यप्रदेश के DGP को मध्यप्रदेश हाइकोर्ट की डबल बेंच ने एफ आई आर दर्ज करने के लिए आदेशित किया है। 

मध्यप्रदेश भाजपा सरकार के मंत्री विजय शाह के द्वारा भारतीय सेना की जाँबाज कर्नल सोफिया कुरेशी के खिलाफ महू विधानसभा के गाव राएकुंडा मे सोमवार 12 मई को एक सभा मे निहायत ही निर्लज्ज और अश्लील तरीके से अपमान और आपत्ति जनक भाषा का अपने भाषण के दौरान बड़ी बेशर्मी से इस्तेमाल किया था। 

उस पर मध्यप्रदेश हाइकोर्ट जबलपुर की डबल बेंच के माननीय न्यायाधीश श्री अतुल श्रीधरन और अनुराधा शुक्ला ने मीडिया की खबरों और यू ट्यूब पर वाइरल विडिओ के आधार पर स्वतः संज्ञान लेते हुए बुधवार दिनांक 14 मई 2025 को मध्यप्रदेश के DGP (डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस) को आदेश दिया है कि, बुधवार 14 मई 2025 की शाम तक आरोपी मंत्री विजय शाह के खिलाफ भारतीय न्याय  संहिता की धारा 152, 196(1)(b) और 197(1)(c) की धाराओ मे एफ.आई.आर दर्ज करने के आदेश दिए है।

और माननीय उच्च न्यायालय ने अपने आदेश मे यह ताकीद दी है कि, यदि आज शाम तक एफ.आई.आर नहीं दर्ज की गई तो मध्यप्रदेश के DGP के खिलाफ 14 मई 2025 के इस आदेश की अवमानना के तहत करवाई की जाएगी और दिनांक 15 मई 2025 को इस आदेश के अनुपालन की पुष्टि के लिए तारीख लगाई है जिसकी सुनवाही कोर्ट खुलते से ही पहले नंबर पर होगी।   

BNS (भारतीय न्याय संहिता) की धारा 152 उन कृत्यों को अपराध मानती है जो भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालते हैं। इसमें अलगाववाद, सशस्त्र विद्रोह या विध्वंसक गतिविधियों को बढ़ावा देना शामिल है। यह धारा उन व्यक्तियों के खिलाफ लागू होती है जो जानबूझकर या जानबूझकर ऐसे कृत्यों को करने का प्रयास करते हैं। सजा में आजीवन कारावास, या 7 वर्ष तक का कारावास और जुर्माना शामिल हो सकता है। 

BNS (भारतीय न्याय संहिता) की धारा 196(1)(ब) विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता या घृणा को बढ़ावा देने वाले कार्यों के खिलाफ है, जो धर्म, जाति, भाषा आदि जैसे कारकों पर आधारित है। यह धारा उन कार्यों को भी दंडित करती है जो सार्वजनिक शांति को भंग करते हैं या सार्वजनिक सद्भाव को बाधित करते हैं। 

इस धारा के तहत दोषी पाए जाने पर, सजा तीन वर्ष तक का कारावास, जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। 

197 (c) किसी वर्ग के व्यक्तियों के दायित्व के संबंध में कोई दावा, परामर्श, दलील या अपील करता है या प्रकाशित करता है, क्योंकि वे किसी धार्मिक, नस्लीय, भाषाई या क्षेत्रीय समूह या जाति या समुदाय के सदस्य हैं, और ऐसा दावा, परामर्श, दलील या अपील ऐसे सदस्यों और अन्य व्यक्तियों के बीच असामंजस्य या शत्रुता या घृणा या दुर्भावना की भावना का कारण बनता है या बनने की संभावना है। 

भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता या सुरक्षा को खतरे में डालने वाली झूठी या भ्रामक जानकारी बनाता या प्रकाशित करता है, तो उसे तीन वर्ष तक के कारावास या जुर्माने या दोनों से दंडित किया जा सकता है।

@प्रदीप मिश्रा री डिस्कवर इंडिया न्यूज इंदौर 

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