भारत का संविधान और कानून कोई आसमान से भेजी गई अल्लाह की कुरान या बाइबिल नहीं है! कि जिसमें संशोधन नहीं किया जा सकता!?
@प्रदीप मिश्रा री डिसकवर इंडिया न्यूज़ इंदौर
बुलडोज़र, संपत्ति ज़ब्त और एनकाउंटर इनका इस्तेमाल करने का अधिकार मुख्यमंत्री को देने के लिए कानून मे प्रावधान होना चाहिए! जिससे अपराधियों को नष्ट करने की प्रक्रिया में किसी तरह का भेदभाव न हो
दुनिया का कोई भी जज, कोर्ट, हाईकोर्ट या फिर सुप्रीम कोर्ट समाज को अपराध और अपराधी मुक्त बनाने की जिम्मेदारी नहीं ले सकती है! यह जिम्मेदारी सरकार की है और उसे इस जिम्मेदारी को लेना ही पड़ेगा फिर चाहे बुलडोज़र, संपत्ति ज़ब्त और एन काउंटर करने के लिए कानून बनाना पड़े या संविधान मे संशोधन करना पड़े!
समाज के हर वर्ग, सम्प्रदाय और प्रत्येक जातियों में बड़े अपराधियों की लंबी लिस्ट है फिर चाहे वो कोई विश्नोई हो या अमृत पाल! कोई मुस्लिम हो, हिन्दू हो या कोई आरक्षित वर्ग का! हर राज्य और शहर में है ये समाज, देश और मानवता के दुश्मन राक्षस!
अपराधिक ख़तरनाक गुंडों, माफिया डॉनो, हिस्ट्री सीटरो जिन पर 25 से लेकर 100 से भी ज्यादा मुकदमे गंभीर धाराओं जैसे हत्या, हत्या का प्रयास, डकैती, बलात्कार, अपरहण, रंगदारी, फिरौती जैसे अपराधिक कृत्यों को अंजाम देने वालों को सजा सिर्फ सरकार ही दे सकती है!
समाज को भय मुक्त, अपराध और अपराधी मुक्त कराने की संवैधानिक जिम्मेदारी चुनी गई सरकारों की है न कि न्यायालययों की! न्यायालय एक सीमा तक ही सजा दे सकता है और सजा देने के लिए भी सबूत, गवाह चाहिए! माफिया डॉन और हिस्ट्री सीटर दुर्दात अपराधियों के ख़िलाफ़ कौन गवाही देगा! गवाही तो दूर की बात इन लोगों के ख़िलाफ़ कई पीड़ित एफ आई आर तक लिखाने नहीं जाते हैं!
अत्याधिक लंबी त्रिस्तरीय न्यायिक व्यवस्था! जहां एक मुकदमे का फैसला लोअर कोर्ट से लेकर अंतिम फैसला सुप्रीम कोर्ट तक से आने मे एक से लेकर दो – तीन पीढ़ी खप जाती है! फिर भी सही न्याय नहीं हो पाता है!
भ्रष्टाचार, दवाब और प्रभाव मे आकंठ डूबी पुलिस! सरकारी अभियोजन सिस्टम और उसके वकील जो ऐसी चार्जशीट न्यायालय के सामने पेश करते हैं कि जज के पास मजबूरन अपराधी को बरी करने के अलावा दूसरा कोई चारा नहीं रहता है!*
कमजोर सबूतों, गवाहों का कभी डर से….
कभी डराकर… कभी पैसे देकर… अपनी गवाही से पलटना, मुकर जाना, पुलिस के इन्वेस्टिगेटिव ऑफिसर द्वारा सही तरीके से जांच न करना इत्यादि कई कारणों से न्यायालय अपराधी को सजा नही दे पाता है!*
समाज को भय मुक्त बनाने के लिए मुख्यमंत्री और गृहमंत्री को ये अधिकार कानूनी रूप से देने के लिए
संविधान और कानून मे बदलाव किया जाना चाहिए
@प्रदीप मिश्रा री डिसकवर इंडिया न्यूज़ इंदौर