नक्सली हिंसा के खिलाफ सरकार थल सेना और वायु सेना का इस्तेमाल क्यों नहीं करती है !?

पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, महाराष्ट्र इन राज्यों में नक्सलवाद राज्य में राजनीतिक दलों को सत्ता में पहुंंचाने का सबसे बड़ा जरिया है! क्या सिर्फ इसी वजह से राजनीतिक दल नक्सलवाद के खिलाफ सेना का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं।

हमने अपने ही देश में खालिस्तान आन्दोलन और आतंकवाद के खिलाफ सेना का इस्तेमाल किया ! हमने आसाम और कश्मीर में हिंसा और आतंकवाद को रोकने के लिए सेना को इस्तेमाल किया तो छतीसगढ में इन तथाकथित माओवादी नक्सल वादियों को समूल नष्ट करने के लिए सेना का इस्तेमाल क्यों नहीं !?

@ प्रदीप मिश्रा री डिस्कवर इण्डिया न्यूज़

भारतीय जनता पार्टी की तेजतर्रार और मुखर नेता  और लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने स्वराज ने कहा था कि भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व चाहता है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सेना का इस्तेमाल कर इस समस्या का खात्मा किया जाए.! वही आज की भारतीय जनता पार्टी के नेता और पूर्व थल सेना अध्यक्ष और वर्तमान में भाजपा सरकार में मंत्री  जनरल वीके सिंह ने 2010 में छत्तीसगढ़ में नक्सलवादी हमले के बाद तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम के साथ हुई बैठक में नक्सल प्रभावित इलाकों में सेना के इस्तेमाल का विरोध किया था । उनके मुताबिक अपने लोगों के खिलाफ सेना का उपयोग उसकी छवि को दागदार कर देगा। समस्या से निबटने के लिए कई दूसरे उपाय किए जा सकते हैं। सेना जवाब नहीं है। पूर्व सेना प्रमुख के अनुसार उन्होंने तत्कालीन रक्षा मंत्री से भी कहा था कि सेना को नक्सल प्रभावित इलाकों में केवल तभी भेजना चाहिए जब राष्ट्रीय सुरक्षा पर कोई खतरा हो, खासकर किसी और देश द्वारा। तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने पूर्व थल सेना अध्यक्ष की बात को मानते हुए कहा की नक्सलियों से मुकाबला करने के लिए केवल प्रदेश पुलिस (Police), प्रदेश सशस्त्र पुलिस (Police) और अर्धसैनिक बलों को तैनात किया जाएगा ! वही दूसरी तरफ उस समय भारतीय जनता पार्टी की तेजतर्रार और मुखर नेता  और लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा था कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सेना के इस्तेमाल के लिए भारतीय जनता पार्टी केंद्र सरकार पर दबाव बनाएगी … सवाल यह उठता है की ऐसा क्यों ! चीन से आयतित विचारधारा मावोवाद से प्रेरित भारत में इस खुनी तथाकथित नक्सलवाद जो देश के सिपाहियों और रक्षाबलो के जांबाज सिपाहियों को धोखे से क्रूर और निर्दयी तरीके से सामूहिक हत्याए कर रहा है !तो इनके खिलाफ सेना के इस्तेमाल से परहेज क्यों कर रही है भारत सरकार !?

हमने अपने ही देश में खालिस्तान आन्दोलन और आतंकवाद के खिलाफ सेना का इस्तेमाल किया ! हमने आसाम और कश्मीर में हिंसा और आतंकवाद को रोकने के लिए सेना को इस्तेमाल किया तो छतीसगढ में इन तथाकथित माओवादी नक्सल वादियों को समूल नष्ट करने के लिए सेना का इस्तेमाल क्यों नहीं !?

आकड़ो के मुताबिक राज्य बनने के बाद से छत्तीसगढ़ में 3200 से अधिक मुठभेड़ की घटनाएँ हुई हैं. गृह विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार जनवरी 2001 से मई 2019 तक माओवादी नक्सली  हिंसा में 1234 सुरक्षाबलों के जवान मारे गये हैं. इसके अलावा 1782 आम नागरिक माओवादी हिंसा के शिकार हुए हैं!

  • 2007 छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) के बस्तर (bastar) में 300 से ज्यादा विद्रोहियों ने 55 पुलिसकर्मियों (Police) को मौत के घाट पर ‌उतार दिया था
  • 2008 ओडिसा के नयागढ़ में नक्सलवाद‌ियों ने 14 पुलिसकर्मियों (Police) और एक नागरिक की हत्या कर दी।
  • 2009 महाराष्ट्र के गढ़चिरोली में हुए एक बड़े नक्सली हमले में 15 सीआरपीएफ (CRPF) जवानों की मौत हो गयी।
  • 2010 पश्चिम बंगाल के सिल्दा केंप में घुसकर नक्सलियों ने 24 अर्द्धसैनिक बलों को मार गिराया।
  • 2011 छत्तीसगढ (chhattisgarh) के दंतेवाड़ा में हुए एक बड़े नक्सलवादी हमले में कुल 76 जवानों की हत्या कर दी जिसमें सीआरपीएफ (CRPF) के जवान समेत पुल‌िसकर्मी (Police) भी शामिल थे
  • 2012 झारखंडके गढ़वा जिले के पास बरिगंवा जंगल में 13 पुलिसकर्मीयों (Police) को मार गिराया।
  • 2013 छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) के सुकमा (Sukuma) जिले में नक्सलियों ने कांग्रेस के नेता समेत 27 व्यक्तियों को मार गिराया।
  • 2014 छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) के सुकमा (Sukuma) जिले की झिलम घाटी में 11 सीआरपीएफ (CRPF) के जवान, 4 पुलिसवाले (Police) और 1 सिविलियन को मारा था। इसी तरह महाराष्ट्र के गढ़चिरोली में 7 पुलिस कमांडों को मौत के घाट उतारा गया।
  • 2016 में छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) के बस्तर जिले में 3 सीआरपीएफ (CRPF) के जवानों को मारा गया था।
  • 2017 में छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) के दंतेवाड़ा में 36 सीआरपीएफ (CRPF) और 6 पुलिसवाले (Police) और 10 आम आदमी को मौत के घाट उतारा था।
  • 2018 में छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) के दंतेवाड़ा में 15 सीआरपीएफ (CRPF) और 10 पुलिसवाले (Police) विभिन्न जिलों में हिंसा के शिकार हुए।
  • 2020 में छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) के सुकमा (Sukuma) जिले में 17 पुलिसवाले (Police) को मौत के घाट उतारा।
  • 2021 में छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) के बीजापुर में सीआरपीएफ (CRPF) के 23 जवान शहीद हो गए और 31 जवान घायल हुए 

ये हत्याकांड बताते है की यह सुनियोजित तरीके से राज्य और देश पर हमला है !और इसे देश के खिलाफ युद्ध घोषित कर सेना को तत्काल भेजा जाय !

@ प्रदीप मिश्रा री डिस्कवर इण्डिया न्यूज़ इंदौर

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

More News