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चेक बाउंस केस में राशि का 20% जमा करने की शर्त पूर्ण नियम  नहीं! असाधारण मामला बनाने पर ही20 फीसदी जमा करवाया जा सकता है! : सुप्रीम कोर्ट (SUPREME COURT)
4 सितम्बर 2023 को जम्बू भंडारी बनाम मप्र राज्य औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड (JAMBU BHANDARI VSM.P. STATE INDUSTRIAL DEVELOPMENT CORPORATION LTD.)
क्रिमिनल अपील में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सजा को निलंबित करने की शर्त के रूप में निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 148 के तहत न्यूनतम 20% राशि जमा करना एक पूर्ण नियम नहीं है!
  • न्यायालय ने कहा, जब कोई अपीलीय अदालत एक अभियुक्त की सीआरपीसी की धारा 389 के तहत प्रार्थना पर विचार करती है जिसे निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 138 के तहत अपराध के लिए दोषी ठहराया गया है, वह इस पर विचार कर सकती है कि क्या यह एक असाधारण मामला है जिसमें जुर्माना/मुआवजा राशि का 20% जमा करने की शर्त लगाए बिना सजा को निलंबित करने की आवश्यकता है। यदि अपीलीय न्यायालय इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि यह एक असाधारण मामला है, तो उक्त निष्कर्ष पर पहुंचने के कारणों को दर्ज किया जाना चाहिए।
ऐसे मामले में जहां अपीलीय न्यायालय इस बात से संतुष्ट है कि 20% जमा करने की शर्त अन्यायपूर्ण होगी या ऐसी शर्त लगाने से अपीलकर्ता को अपील के अधिकार से वंचित होना पड़ेगा, विशेष रूप से दर्ज किए गए कारणों से अपवाद किया जा सकता है!
4 सितम्बर 2023 को जम्बू भंडारी बनाम मप्र राज्य औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड में जम्बू भंडारी द्वारा दायर क्रिमिनल अपील नम्बर 2741/2023 SLP नंबर 4927/2023 में निर्णय में जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस पंकज मित्तल की पीठ ने कहा कि यदि अपीलीय अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि यह एक असाधारण मामला है, तो उक्त निष्कर्ष पर पहुंचने के कारणों को दर्ज किया जाना चाहिए।
जम्बू भंडारी बनाम मप्र राज्य औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड मामले में आरोपियों को धारा 138 एनआई एक्ट के तहत दोषी ठहराया गया और अपील में, धारा 148 एनआई अधिनियम पर भरोसा करते हुए, सत्र न्यायालय ने अपीलकर्ताओं को मुआवजे की राशि का 20% जमा करने की शर्त के अधीन धारा 389 सीआरपीसी के तहत राहत दी। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने भी सेशन न्यायलय के आदेश को बरक़रार रखा था ! हाईकोर्ट का कहना था की सीआरपीसी की धारा 389 के तहत सजा के निलंबन से राहत अभियुक्त को मुआवज़ा/जुर्माना राशि का न्यूनतम 20% जमा करने का निर्देश देकर ही प्रदान की जा सकती है!
सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा “जब कोई आरोपी सीआरपीसी की धारा 389 के तहत सजा के निलंबन के लिए आवेदन करता है, तो वह आम तौर पर बिना किसी शर्त के सजा के निलंबन से राहत के लिए आवेदन करता है। इसलिए, जब अपीलकर्ताओं द्वारा एक व्यापक आदेश मांगा जाता है, तो अदालत को विचार करना होगा मामला अपवाद में आता है या नहीं.. इन मामलों में, सत्र न्यायालय और हाईकोर्ट दोनों गलत आधार पर आगे बढ़े हैं कि न्यूनतम 20% राशि जमा करना एक पूर्ण नियम है जो किसी भी अपवाद को समायोजित नहीं करता है।
जम्बू भंडारी बनाम मप्र राज्य औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड – 2023 लाइव लॉ (SC) 776 – 2023 INSC 822 निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट, 1881
@प्रदीप मिश्रा री डिस्कवर इंडिया न्यूज़ .कॉम इंदौर

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