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बंधक बना, दुराचार करते थे कमांडो

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अंतत: काफी नौटंकी व मशक्कत के बाद अडिय़ल संत रामपाल पुलिस के हत्थे चढ़ ही गया। पांच साल से अब तक बाबा रामपाल के आश्रम के बारे में किसी ने सुध नहीं ली थी। अवैध रूप से तैयार हुआ आश्रम अब प्रशासन के लिए सिरदर्द बन गया है। इसके अलावा आश्रम की बसों का भी प्रशासन के पास कोई रिकार्ड नहीं है। इस संबंध में जिला उपायुक्त एलएल कौशिक का कहना है कि आश्रम का कोई भी नक्शा पास नहीं हुआ है। साथ ही बसों की भी प्रशासन के पास कोई जानकारी नहीं है। इसमें जिस किसी की भी लापरवाही सामने आएगी, उसकी भी जांच होगी।
हिसार। रामपाल की गिरफ्तारी के बाद देर रात सतलोक आश्रम में तलाशी के दौरान पुलिस को कंडोम, महिला शौचालयों में खुफिया कैमरे, नशीली दवाएं, बेहोशी की हालत में पहुंचाने वाली गैस, अश्लील साहित्य समेत भारी तादाद में आपत्तिजनक सामग्री मिली।
बलात्कार का आरोप
आश्रम से बाहर आने पर महिलाओं ने भी चौंकाने वाले कई खुलासे किए। उनके अनुसार, निजी कमांडो उन्हें बंधक बनाकर बलात्कार तक करते थे। विरोध करने पर कई दिनों तक पहनने को कपड़े तक नहीं दिए जाते थे। ऐसी जगह रखते थे कि किसी तक उनकी आवाज नहीं पहुंच सकती थी। पुलिस ने भी मामले की पुष्टि की है। उनके अनुसार, महिलाएं यहां दवाई लेने भी आती थीं, लेकिन उनके साथ बलात्कार किया जाता था। आश्रम से बाहर आई एक महिला ने बताया कि पिछले कई दिनों से उससे बलात्कार किया जा रहा था। महिला ने बताया कि वह अपने पति और बच्चे के साथ यहां आई थीं। सात दिनों से वह आश्रम में ही थीं। पांच दिनों से उसका पति से संपर्क नहीं हो पा रहा था।
आश्रम में बनवा रखी थी सुरंग

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रोहतक स्थिति करौंथा आश्रम में रामपाल ने सुरंग बनवा रखी है। वह अक्सर उसी सुरंग में लगी लिफ्ट के माध्यम से प्रकट होता था। यहां सभी आधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं। आश्रम में छापामारी के दौरान यहां 30 किलो सोने के जेवरात मिले। इनमें ज्यादातर महिलाओं के मंगलसूत्र और हार हैं। यहां नोटों से भरी कई बोरियां और सिक्कों से भरी 17 बोरियां मिली हैं। इसके साथ ही विदेशी शराब की कई बोतलें और अय्याशी के कई और सामान भी बरामद हुए।

मां बोली- मुझे गेट पर बिठाया…और बेटियों को कैद कर लिया

बरवाला सिविल अस्पताल में भर्ती उत्तरप्रदेश के सीतापुर की रहने वाली रामदेवी ने बताया कि वह छह दिन पहले सत्संग सुनने आश्रम आई थी। वह पहले भी तीन बार यहां आ चुकी हैं। रामदेवी ने बताया कि रामपाल के निजी कमांडो ने उनकी बेटियों को पुलिस का डर दिखाकर अंदर कैद कर लिया और उसे गेट पर बैठा दिया। कुछ युवतियों ने बताया कि उनके परिजन को आश्रम संचालकों ने आने-जाने के किराए का लालच देकर बुलाया था। ये लड़कियां इतनी डरी हुई हैं कि तड़के ही सिविल अस्पताल से रेलवे स्टेशन पहुंच गई। इनमें शामिल मध्यप्रदेश के मुरैना की प्रियंका ने बताया कि वह अपने पिता बेताल सिंह के साथ आश्रम आई थी। आश्रम में सत्संग खत्म होने के बाद रामपाल के एक कमांडो ने उनसे कहा कि जब तक रामपाल का फैसला नहीं हो जाता, वह उन्हें कहीं नहीं जाने देंगे।
कष्ट दूर कराने आए थे, बन गए बंधक
आश्रम से बाहर आई कुंजन ने कहा कि वह तो बाबा का प्रचार सुनकर आश्रम में कष्टों का निवारण करवाने आए थे। यहां कष्ट तो दूर नहीं हुए, लेकिन वह आश्रम के अंदर कैद होकर रह गए। पुलिस कार्रवाई नहीं करती तो पता नहीं कितने दिन और आश्रम के अंदर रहना पड़ता। दो अन्य श्रद्धालुओं अनिल और सचिन ने भी लगभग ऐसी ही कहानी सुनाईं। उन्होंने बताया कि आश्रम से बचकर निकले अधिकांश श्रद्धालु दूसरे राज्यों के रहने वाले हैं।
पुलिस ने ली कमरे की तलाशी, मशीनें मिलीं
पुलिस ने इसके बाद एक कमरे की तलाशी ली। इसमें एक व्यक्ति छिपा हुआ मिला। पुलिस को देखकर व्यक्ति ने उसे बचाने की बात कही। कमरे में अनेक मशीनें, सिलेंडर पड़े थे। चिकित्सकों ने जांच की तो उसमें नाइट्रोजन गैस की बदबू आ रही थी।
कपड़े तक नहीं देते थे महिलाओं को
आश्रम से बाहर आने पर महिलाओं ने भी चौंकाने वाले अनेक खुलासे किए। उनके अनुसार निजी कमांडो उन्हें बंधक बनाकर दुराचार तक करते थे। विरोध करने पर कई दिनों तक पहनने को कपड़े तक नहीं दिए जाते थे। ऐसी जगह रखते थे कि किसी तक उनकी आवाज नहीं पहुंच सकती थी। पुलिस ने भी मामले की पुष्टि की है। उनके अनुसार महिलाएं यहां दवाई लेने भी आती थीं, लेकिन उनके साथ दुराचार किया जाता था।
अवैध है बाबा का सतलोक आश्रम

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12 एकड़ में पांच साल पहले बना सतलोक आश्रम अवैध है। इसका कोई नक्शा पास नहीं है। रोहतक के करौंथा में 2006 हुए बवाल के तीन साल बाद ही बरवाला के करीब 12 एकड़ जमीन पर आश्रम का निर्माण किया था। निर्माण ऐसा कि कोई आज तक इसको समझ नहीं पाया है। अदालत में पेश नहीं होने पर गिरफ्तारी वारंट जारी होने और कार्रवाई के बाद आश्रम के कागज खंगाले गए तो इसके अवैध होने का पता चला।

नहाता है दूध से…

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आश्रम में सत्संग के लिए आए एक अनुयायी ने बताया कि ध्यानमग्न रामपाल को दूध से नहलाया जाता था और बाद में उसी दूध की खीर बनाकर प्रसाद के तौर पर बांट दिया जाता था।अनुयायियों को कहा जाता है कि यही खीर उनकी जिंदगी में मिठास लाएगी।

आश्रम में था राशन का ढेर

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रामपाल ने विवाद होने से पहले राशन का ढेर लगा लिया था। रामपाल की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने खिड़की से झांककर देखा तो अंदर काफी मात्रा में राशन पड़ा था। इसमें मुख्य रूप से चावल, दाल आदि सामान के पैकेट थे।

महिलाओं के शौचालय में कैमरे की नजर

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आश्रम में महिलाओं पर कैमरे से नजर रखी जाती थी। आश्रम के मुख्य द्वार के साथ बने महिला शौचालय के बाहर लगे कैमरे का मुंह भी अंदर की तरफ किया गया था। शौचालय में पुलिस को कंडोम भी मिले हैं। आश्रम के अंदर नाइट्रोजन गैस की बदबू आ रही है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इसे खतरनाक बताते हुए नशीली गैस भी बता रहे हैं। रामपाल की गिरफ्तारी के बाद लाउडस्पीकर से लोगों को बाहर निकलने की घोषणा की, मगर कोई भी समर्थक आश्रम से बाहर नहीं आया। पुलिस ने गेट पर जाकर जांच की। कोई भी गेट नहीं खुला। उसके बाद दरवाजे के पास बने महिला शौचालय की जांच शुरू हुई। पुलिस के शौचालय को देखकर होश उड़ गए।
एक टाइम खाना

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आश्रम से बाहर आए समर्थकों ने बताया कि उन्हें एक टाइम खाना दिया जाता था। बच्चों के लिए दूध भी नहीं था। जब खाना-दूध मांगते थे, तो उन्हें दुत्कार मिलती थी। ऐसे में जैसे-तैसे आश्रम में रहकर आजाद होने की दुआ करते थे।
एनएसजी-एसपीजी ट्रेंड हैं कमांडो
हरियाणा पुलिस अपनी जांच में इस नतीजे पर पहुंची है कि बाबा रामपाल के कम से कम 300 सुरक्षाकर्मियों को आर्मी और पुलिस से रिटायर लोगों ने ट्रेंड किया है। ट्रेनिंग देने वालों में नेशनल सिक्युरिटी गाड्र्स (एनएसजी) और स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) के लोग शामिल हैं। इंटेलिजेंस से जुड़े सूत्र कहते हैं कि रामपाल की फौज में 25 से 35 वर्ष के लोग भर्ती किए गए हैं। इनके पास प्वाइंट 315 बोर की राइफल, प्वाइंट 32 बोर की राइफल और पिस्टल हैं।
हो सकती है फांसी
50 करोड़ रु. का हर्जाना भी संभव

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बरवाला/चंडीगढ़। मर्डर केस में गिरफ्तार हरियाणा के सतलोक आश्रम के बाबा रामपाल पर लगे आरोप साबित हुए तो उसे फांसी तक हो सकती है। यही नहीं, संभव है कि बाबा को अपनी आधी संपत्ति (करीब 50 करोड़ रुपए) भी गंवाना पड़े। बाबा को पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में पेश किया गया। बाबा पर देशद्रोह सहित कई धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज हुआ है। अगर आरोप साबित हुआ तो फांसी तक की सजा हो सकती है। बाबा को 60 घंटे की घेराबंदी और 45 हजार जवान लगाए जाने के बाद रात में गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी पर सरकार के करीब 50 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। यह रकम बाबा की संभावित संपत्ति का आधा है। फोर्स की तैनाती और सरकारी बसों समेत अन्य मदों पर यह खर्च हुआ। हाईकोर्ट पहले ही टिप्पणी कर चुका है कि सारा खर्च आरोपी रामपाल से ही वसूला जा सकता है।
अवमानना के मामले में अदालत में पेशी के लिए उपस्थित न होकर पुलिस-प्रशासन के लिए चुनौती बने बाबा रामपाल ने गुरुवार को जमानत के लिए भी हाईकोर्ट में अर्जी दी, लेकिन अर्जी खारिज हो गई। बाबा रामपाल ने थाने में मीडिया के सवालों के जवाब में उसने कहा कि उस पर लगे आरोप गलत हैं। उसने यह भी दावा किया कि सुरक्षाबलों से संघर्ष करने वाले आश्रम के कमांडो भी उसके नहीं हैं।
क्यों जारी हुआ गैर जमानती वारंट
12 जुलाई, 2006 को हरियाणा के रोहतक के करौंथा में बाबा रामपाल द्वारा संचालित सतलोक आश्रम के बाहर जमा भीड़ पर हुई फायरिंग में झज्जर के एक युवक की मौत हो गई थी। मृतक के भाई का कहना है कि गोली आश्रम की ओर से चली थी। इस मामले में बाबा रामपाल और उसके 37 समर्थकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज है। करौंथा स्थित सतलोक आश्रम का स्थानीय ग्रामीण विरोध कर रहे थे। इसी मुद्दे पर 12 मई, 2013 को करौथा में पुलिस व ग्रामीणों के बीच हिंसक झड़प में तीन लोगों की मौत हो गई थी। 14 मई, 2013 को पुलिस ने आश्रम खाली कराया। संत रामपाल बरवाला स्थित आश्रम में चला गया। करौंथा आश्रम को प्रशासन ने कब्जे में ले लिया। इन्हीं मामलों में बाबा रामपाल और उसके अनुयायियों के खिलाफ मुकदमा चल रहा है। पेशी से छूट खत्म होने के बाद हिसार कोर्ट में 14 मई, 2014 को रामपाल की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेशी हुई। सुनवाई के दिन समर्थकों ने कोर्ट परिसर में घुसकर बवाल मचाया। वकीलों से हाथापाई की, जजों के खिलाफ नारेबाजी भी की। हाईकोर्ट ने खुद संज्ञान लिया। उसे पेश होने का आदेश दिया गया। कई सुनवाई पर बाबा पेश नहीं हुआ तो अदालत ने रामपाल और उसके अनुयायी व सेवा समिति के अध्यक्ष रामकुमार ढाका के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया।
पुलिस की रणनीति
पुलिस को डर था कि आश्रम पर सीधे दबिश दी तो रामपाल के अंध भक्तों की लाशों का ढेर लग जाएगा। फिर पुलिस हर किसी के निशाने पर थी। कभी रामपाल को गिरफ्तार करने में नाकाम रहने, ऑपरेशन में देरी करने तो कभी फायरिंग के आदेश देने पर। इसके बावजूद पुलिस ने संयम बरता, इंतजार किया, हौसला बनाए रखा। आश्रम पर एक भी गोली नहीं चलाई। पुलिस पूरे दिन रामपाल के अनुयायियों को आश्रम से निकालने और उन्हें बसों में भरकर हिसार, बरवाला और उकलाना रेलवे स्टेशनों व बस अड्डों पर छोडऩे में जुटी रही। इसके अलावा, सैकड़ों लोगों को हिरासत में भी लिया गया। शाम को हिसार के एसपी बी सतीश बालन ने पुलिस को पीछे हटाकर सीआरपीएफ और आरपीएफ के जवानों को अग्रिम पंक्ति में तैनात कर दिया। पुलिस ऑपरेशन के अंतिम चरण के लिए इंतजार करने लगी। सीआरपीएफ-आरपीएफ ने सुरक्षा घेरा बना लिया। रात 9 बजे हवा में सिर्फ एक वार्निंग फायर किया और रामपाल बाहर आ गया।
खौफ से हथियार डाल गए कमांडो
पुलिस की फतह के पीछे वेट एंड वॉच की पॉलिसी भी रही। जवानों ने पहले दिन आश्रम के आगे से वाहनों को उठाकर अपनी दखलंदाजी का अहसास कराया। जवाबी कार्रवाई में भी पुलिस ने अनुयायियों की गोलीबारी का जवाब गोलियों से नहीं दिया। भले ही उसके 100 से ज्यादा जवान घायल होकर अस्पताल पहुंच गए। इतना बड़ा नुकसान सहने के बावजूद पुलिस ने पहले दिन की मुठभेड़ के बाद संघर्ष विराम कर दिया। यह रणनीति कारगर रही। चारों तरफ से आश्रम को घेरने के बावजूद बिना गोली चलाए पुलिस ने संत के निजी कमांडों और अनुयायियों पर ऐसा खौफ बनाया कि वे बाहर निकलने को मजबूर हो गए और उन्हें काले कपड़े को फेंककर सादे कपड़ों में बचकर निकलने के लिए विवश होना पड़ा।
नेताओं ने मनाया, बाहर डराया
पुलिस एक तरफ आश्रम की तरफ कदम बढ़ाकर संत पर अपनी शक्ति का दबाव बना रही थी, वहीं मध्यस्थता कराने वाले नेताओं के जरिए मानसिक दबाव भी बना रही थी। इस काम में भी पुलिस ने उन नेताओं से संपर्क साधा, जो उनके मिशन में अहम भूमिका निभा सकते हैं। ऑपरेशन के अंतिम दिन पुलिस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश के जरिए दबाव बनाया। जयप्रकाश के साथ विधायक सुभाष बराला, बरवाला से भाजपा प्रत्याशी रहे सुरेंद्र पूनिया और बरवाला से निर्दलीय चुनाव लड़ चुके जिला परिषद अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र सूरा भी शामिल थे। यह टीम आश्रम की प्रबंधन कमेटी के पदाधिकारियों को समझाने में कामयाब रही कि अब संत के पास कोई विकल्प नहीं है। हाईकोर्ट के सामने पेश होना ही पड़ेगा। यह बात भी सही भी थी। पुलिस संत रामपाल के नीचे से जमीन खिसका चुकी थी। हजारों अनुयायियों की फौज आश्रम छोड़कर पलायन कर चुकी थी। देर शाम एक एंबुलेंस आश्रम गेट पर आकर रुकी और बीमारी का बहाना कर रहा रामपाल आश्रम से निकलकर उसमें बैठ गया। इस दौरान वह कहीं से भी बीमार नहीं नजर आ रहा था।
स्वस्थ निकला रामपाल
खास बात यह है कि बीमारी का बहाना बनाकर छुप रहे बाबा रामपाल की जब पुलिस ने डॉक्टरी जांच कराई तो वह बिल्कुल फिट निकला। पुलिस ने रामपाल के भाई, परिवार के सदस्यों, प्रवक्ताओं और आश्रम प्रबंधक कमेटी के कई पदाधिकारियों को पहले ही हिरासत में ले लिया था। बता दें कि पूरी कार्रवाई में कुल छह लोगों की मौत हो चुकी थी। इनमें एक डेढ़ साल का बच्चा भी शामिल है।
कौन है बाबा रामपाल

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2000 में सिंचाई विभाग से जेई की नौकरी छोडऩे वाले रामपाल ने कबीरपंथ अपनाया। जून, 2006 में रामपाल ने महर्षि दयानंद पर कथित तौर पर टिप्पणी की। उसी वक्त से रामपाल समर्थकों और आर्य समाज के लोगों के बीच विवाद चल रहा है। हरियाणा के सोनीपत जिले की गोहाना तहसील के गांव धनाना में 1951 में रामपाल का जन्म हुआ था। बताया जाता है कि उसने इंजीनियरिंग में डिप्लोमा करने के बाद सिंचाई विभाग में नौकरी की थी। रामपाल के आश्रम की ओर से चलाई जाने वाली वेबसाइट httpN//www.jagatgururampalji.org पर उसे ‘जगतगुरुÓ बताया गया है। वेबसाइट के मुताबिक, ‘संत रामपाल ने बरसों तक कृष्ण और हनुमानजी की पूजा की और व्रत रखे, लेकिन उसे ईश्वर की प्राप्ति नहीं हुई। 107 वर्ष के कबीरपंथी संत स्वामी रामदेवानंदजी ने रामपाल को ज्ञान देते हुए हिंदू देवी-देवताओं की भक्ति पर सवाल उठाए।Ó वेबसाइट में हिंदुओं के आराध्य देवों को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियां की गई हैं। वेबसाइट के मुताबिक, शिष्यों को ‘ज्ञानÓ देने के लिए संत रामपाल ने 18 साल सरकारी नौकरी करने के बाद उसे छोड़ दिया और तब से कबीरपंथ के प्रचार-प्रसार में लगा हुआ है। संत रामपाल सनातन धर्म से जुड़ी मान्यताओं पर सवाल खड़े करता है।
फांसी या उम्रकैद मुमकिन…!
बाबा रामपाल और उसके प्रवक्ता, आश्रम प्रबंधक कमेटी व अनुयायियों पर राजद्रोह और हत्या प्रयास के अलावा 19 धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है। इन संगीन धाराओं में मामला साबित होने पर रामपाल को फांसी या उम्रकैद हो सकती है।
धारा आरोप सजा
धारा 121 भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेडऩा या
युद्ध की कोशिश करना उम्रकैद या फांसी
धारा 121 ए राज्य के खिलाफ अपराध का षडयंत्र रचना दस साल या उम्रकैद
धारा 122 सरकार के खिलाफ युद्ध के लिए हथियार
जमा करना 10 साल या उम्रकैद
धारा 123 युद्ध की तैयारी के लिए किसी को छिपाना 10 साल जेल
धारा 307 हत्या की कोशिश 10 साल से उम्र कैद तक
धारा 436 आगजनी 10 साल से उम्र कैद तक
इनके अलावा सरकारी ड्यूटी में बाधा पहुंचाने, बंधक बनाने, आपराधिक षड्यंत्र
रचने सहित विभिन्न धाराएं भी एफआईआर में लगाई गई हैं।

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