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जिला उपभोक्ता फोरम मुरैना का फैसला

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बानमोर जिला मुरैना निवासी कृष्णपाल सुरेका ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया शाखा बानमोर से ऋण लेकर भैंसें खरीदी थीं। इनका बीमा न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी ने किया था। बीमारी से भैंसों की मृत्यु 27.5.12 को हो गई, जिसकी सूचना तत्काल कंपनी प्रबंधक को दी गई थी। बीमा कंपनी द्वारा बीमित भैंस की बीमा राशि का भुगतान कृष्ण गोपाल सुरेका को नहीं किया गया। इस कारण सुरेका ने परिवाद प्रस्तुत कर निवेदन किया कि कंपनी से भैंस की बीमित राशि 45,000 रु. एवं इस राशि पर भैंस की मृत्यु दिनांक से वसूली दिनांक तक 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज तथा मानसिक क्षतिपूर्ति हेतु 5000 रु., वाद व्यय व अधिवक्ता फीस 4000 रु. दिलाई जाए। सुरेका ने यह शिकायत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधि.,1986 के तहत सेवा में कमी पर की थी। कंपनी की ओर से प्रस्तुत जवाब दावा संक्षेप में इस प्रकार है कि बीमा पॉलिसी की शर्तों के तहत सुरेका की भैंस का बीमा करते हुए उसके कान पर टैग क्रमांक 88712 एनआईए लगाया गया था। बीमा पॉलिसी की यह शर्त अनिवार्य है कि बीमित भैंस की मृत्यु की लिखित सूचना तत्काल कंपनी को दी जाएगी तथा टैग कंपनी में प्रस्तुत करना होगा। सुरेका द्वारा बीमित मृत भैंस की सूचना प्रबंधक, द न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी को तत्काल नहीं दी गई थी और न ही मृत भैंस का टैग प्रस्तुत किया गया था।  प्रबंधक, इंश्योरेंस कंपनी की ओर से प्रस्तुत जवाब दावा इस प्रकार है कि कृष्ण गोपाल सुरेका व बैंक के माध्य संबंध मात्र ऋणदाता व ऋणग्रहीता से है। सुरेका की ओर से परिवाद के समर्थन में स्वयं का एवं लक्ष्मी बाई एवं रामचरन सिंह के शपथपत्र एवं दस्तावेजों की प्रतियां प्रस्तुत की गई हैं।
सुरेका की ओर से शपथ-पत्र प्रस्तुत करते हुए कहा गया कि बीमित भैंस टैग व सूचना तत्काल प्रबंधक को दी गई थी। भैंस का शव परीक्षण अधिकृत पशु चिकित्सक ने सरपंच एवं अन्य की उपस्थिति में किया था। पशु चिकित्सक द्वारा बीमित मृत भैंस के टैग को कान काटकर निकाला गया।
उक्त पत्र के माध्यम से कंपनी प्रबंधक द्वारा बीमा कंपनी को, कृष्ण गोपाल सुरेका की बीमित मृत भैंस के संबंध में दावा पत्र, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, पंचनामा, भैंस की फोटो, टैग एनआईए तथा पॉलिसी की छायाप्रति को प्रेषित किया गया है। परंतु कंपनी इसके खंडन में कोई दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किए हैं, जिससे प्रमाणित हो सके कि मृत भैंस का टैग उसे नहीं दिया गया था। इसके उपरांत भी प्रबंधक, द न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी द्वारा कृष्ण गोपाल सुरेका को बीमा राशि का भुगतान नहीं किया गया है। 14. उपरोक्त संपूर्ण विवेचना के आधार पर यह प्रमाणित पाया जाता है कि प्रबंधक, द न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी द्वारा कृष्ण गोपाल सुरेका को उसकी बीमित मृत भैंस की मृत्यु होने के उपरांत भी बीमा राशि का भुगतान न करते हुए सेवा में कमी की गई है। इस प्रकार विचारणीय प्रश्न के संदर्भ में यह निष्कर्ष निकलता है कि प्रबंधक, द न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी द्वारा कृष्ण गोपाल सुरेका को बीमा राशि का भुगतान नहीं करके सेवा में कमी की गई है।
फोरम ने दिया आदेश
1. प्रबंधक, द न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी क्रमांक 1, कृष्ण गोपाल सुरेका को उसकी बीमित मृत भैंस की बीमा राशि 45,000 रु. एवं इस राशि पर परिवाद प्रस्तुति दिनांक 30.09.12 से भुगतान दिनांक तक 7 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज राशि का भुगतान आदेश दिनांक से एक माह के भीतर करे।
2. प्रबंधक, द न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी द्वारा कृष्ण गोपाल सुरेका के साथ की गई सेवा में कमी के आधार पर क्षतिपूर्ति 1000 रु. एवं वाद व्यय 500 रु. का भुगतान भी एक माह के अंदर किया जाए।

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