महा रजिस्ट्रार ने जनगणना का हिसाब न देने वाले 15 जिलों के खिलाफ जताई नाराजगी
भोपाल। प्रदेश की जनगणना भले ही तीन साल पहले पूरी हो गई हो, लेकिन कलेक्टर इसमें हुए खर्च का हिसाब-किताब नहीं दे पाए हैं।
प्रदेश के 15 जिलों के कलेक्टरों ने अभी तक जनगणना में खर्च हुई 17 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशिका हिसाब नहीं दिया। जनगणना महारजिस्ट्रार ने लापरवाही के लिए इन कलेक्टरों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए प्रदेश सरकार को निर्देश दिए हैं। गृह मंत्रालय इन जिलों के कलेक्टरों को नोटिस थमाने जा रहा है। कलेक्टरों को इन्हें जारी की गई राशिका उपयोगिता प्रमाण-पत्र देने के निर्देश दिए जा रहे हैं। यदि कलेक्टरों ने अब तक जनगणना के हिसाब की जानकारी नहीं दी, तो इनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि 30 मई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सभी जिलों के जिला जनगणना अधिकारी एवं कोषालयअधिकारी को महालेखाकार कार्यालय ग्वालियर में उपस्थित होकर खर्च का मिलान करने का निर्देश दिया गया था, लेकिन इसके बाद भी जिलों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।
इन जिलों ने नहीं भेजी जानकारी
जिन पंद्रह जिलों ने अभी तक जनगणना के हिसाब की जानकारी नहीं भेजी है, उनमें भिंड, टीकमगढ़, पन्ना, रतलाम, उज्जैन, सीहोर, रायसेन, नरसिंहपुर, मंडला, छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट, गुना, सिंगरौली और झाबुआ जिले शामिल हैं। जिला जनगणना अधिकारियों को 7 हजार रुपए, चार्ज अधिकारियों, जोनल अधिकारियों, एसडीओ एवं अतिरिक्त चार्ज अधिकारियों को 6 हजार रुपए प्रगणक, पर्यवेक्षक एवं मास्टर ट्रेनर्स केलिए 3300 रुपए के सिहाब से मानदेय की राशि जिलों को उपलब्ध कराई गई थी। साथ ही प्रगणक एवं पर्यवेक्षक (वास्तविक एवं रिजर्व) तथा मास्टर ट्रेनर्स को तीन दिवसीय प्रशिक्षण भत्ता के लिए 250 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मानदेय की राशिउपलब्ध कराई गई थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *