कही आप अपने बच्चों के साथ धोखा तो नहीं कर रहे हैं ! कॉन्वेंट स्कूल में डाल कर अंग्रेजी में शिक्षा के नाम पर ! आज कल भारत में माँ-बाप अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के कान्वेंट स्कूलों में डालने के तन-मन-धन से समर्पित रहते है! जबकि घर का माहौल, आस-पास का परिवेश, मनोरंजन के साधन टी.वी, अखबार, बोलचाल की भाषा, बाज़ार आदि सब या तो मात्र भाषा या प्रादेशिक भाषा में है या हिंदी में! कक्षा 1ली से 8 वी तक जहा बच्चों को देश और दुनिया के इतिहास, भूगोल, गणित, नागरिक शास्त्र, जीव-विज्ञान, सामाजिक विज्ञान व अन्य व्यवहारिक ज्ञान की बुनियाद डाली जाती है वो सब अग्रेजी भाषा में पढ़ाया जाता है! किताबें भी अग्रेजी भाषा में होती हैं! क्या 1ली से 8 वी तक किसी छात्र की अंग्रेजी में पकड़ किसी अंग्रेजी के विद्वान जैसी होती है! आपका बच्चा इन विषयों को सिर्फ रटता है! उसके पल्ले कुछ नहीं पड़ता है! न ही उसे कुछ समझ आता है! इस तरह न ही उसकी बुद्धि का विकास होता है! और न ही विषय पर पकड़ मजबूत होती है! न ही ज्ञान अंग्रेजी एक अंतर्राष्ट्रीय भाषा है, इसे सीखा जाना जरूरी भी है, लेकिन इसका किसी व्यक्ति की बुद्धि, ज्ञान, विवेक, चरित्र, नीयत, विद्वता और आर्थिक सफलता की उचाइयों पर पहुंचने से कोई लेना देना नहीं है? अत: यदि कोई आदमी फर्राटेदार अंग्रेजी बोलता है तो इसका ये मतलब कतई नहीं है की वो व्यक्ति पढ़ा-लिखा, संस्कारवान और विद्वान है? आप किसी धोखे में न रहे!