@प्रदीप मिश्रा री डिस्कवर इण्डिया न्यूज़ इंदौर
हरियाणा के रोहतक से दिवालिया होकर इंदौर आया अग्रवाल परिवार आज अग्रवाल ग्रुप(agarwal groop indore) के नाम से प्रदेश का सबसे धनाड्य परिवारों की सूची में शीर्ष पर !?
फर्श से अर्श तक का सफ़र तय किया पुरुषोत्तम अग्रवाल और विनोद कुमार अग्रवाल( vinod kumar agarwal) ने !
कोयले(coal) और ट्रांसपोर्ट(transport) के बिजनेस ने पहुचाया देश के शीर्ष 1000 अरबपतियो में स्थान !
खनन (कोयले ) का व्यवसाय हो ! अडानी का साथ हो ! सरकार और सरकार के लोगो से नजदीकिया हो ! कॉर्पोरेट धर्माचार्य के साथ उठना-बैठना हो ! सरकार की राजनेतिक पार्टी को नियमित चंदा जाता हो! धर्म के नाम पर राजनेतिक दान और पूण्य हो ! तो मात्र 5 सालो में कौन रोक सकता है भारत में 1000 करोड़ रूपये के क्लब में शुमार होने को !?
कभी हरयाणा प्रदेश के रोहतक शहर के धनाड्य कॉटन व्यापारी स्व रामकुमार अग्रवाल व्यापार में घाटा होने की वजह से दिवालिया स्तिथि में अपनी पत्नी चमेली देवी और 4 पुत्रो पुरुषोत्तम ,धरमपाल ,विनोद और संजय के साथ सन 1965 में इंदौर आये ,और यहाँ प्रेमनगर में स्व पुरुषोत्तम जोशी के मकान नंबर 27-a प्रेमनगर में 3 कमरे किराये से लेकर आज बंगाली चौराहे के पास रिंग रोड ,गोयल नगर में 2 एकड़ में फ़ैली आलीशान महलनुमा हवेली चमेली देवी पार्क तक का सफ़र तय किया और निरंतर प्रगति करते हुए शहर और प्रदेश की सीमाओ को लांघते हुए देश विदेश में अपने व्यापार,उन्नति सम्रद्धि का परचम लहरा रहा है !
50 हजार करोड़ से ज्यादा के इंदौर के इस प्रतिष्ठित अग्रवाल ग्रुप को यहाँ तक पहुचाने में ग्रुप के तथाकथित चेयरमैन पुरुषोत्तम अग्रवाल की कुशाग्र व्यापारिक बुद्धि की बुनियाद है ! मात्र 13 साल की उम्र में अपने परिवार के साथ १९६५ में इंदौर आये पुरुषोत्तम अग्रवाल (purushottam agarwal)जिनकी प्रारंभिक शिक्षा मात्र 5 वी कक्षा तक है !ने छावनी की एक ट्रांसपोर्ट में नौकरी से शुरुवात की ! और कुछ साल में ही अपनी स्वयं की ट्रांसपोर्ट अग्रवाल ट्रांसपोर्ट के नाम से नसिया रोड में शुरू की !
पुरुषोत्तम अग्रवाल की व्यवसायिक उन्नति में 4 लोगो का सबसे महत्वपूर्ण योगदान रहा है पहला उनकी माँ चमेलीदेवी(chamelidevi) का दूसरा भाग्यशाली पुरुषोत्तम जोशी का 27-अ प्रेमनगर का मकान ,तीसरा 1974 की रेलवे की हड़ताल और चौथा उनका कोयले के बिजनेस में उतरना !
भारतीय रेलवे के इतिहास में सन १९७४ में रेल कर्मचारियों द्वारा अब तक की सबसे बड़ी हड़ताल की गयी थी इसका नेतृत्व जॉर्ज फर्नांडीज ने किया था। लम्बे समय तक चली इस रेल हड़ताल से भारत के औद्योगिक जगत में हाहाकार मच गया गया था ! उस समय भारत के औद्योगिक जगत खासकर कपडा मिलो ,बिजली घरो ,सीमेंट प्लांट ,लोह उद्योग आदि को अपने प्लांट चलाने के लिए बड़ी मात्रा में कोयले की आवश्यकता थी !बिना कोयले के प्लांट एक दिन भी नहीं चल सकते थे ! चूँकि रेलवे की हड़ताल थी इसलिए ट्रक के अलावा कोई दूसरा विकल्प मौजूद नहीं था कोयला परिवहन के लिए !और फिर ऐसे समय में पुरुषोत्तम अग्रवाल का अपनी ट्रांसपोर्ट के लिए छिंदवाडा के परसिया कोल माइंस इलाके में जाना और वहा पर पेड़ के नीचे अपनी ट्रांसपोर्ट का ऑफिस संचालित कर दुगने –चौगने भाड़े पर ट्रको से मॉल फक्ट्रियो और मिलो तक पहुचाने का कम शुरू हुआ ! पानी की तरह पैसा आने लगा ! एक एक दिन की कमाई उस समय हजारो रूपये में होने लगी !
इधर कोयले के ट्रांसपोर्ट से पैसे की बरसात हो रही थी वही दूसरी तरफ पुरुषोत्तम अग्रवाल की कुशाग्र बुद्धि कोयले के धंधे की बारीकियो को बहुत तेजी से समझ चुकी थी ! खदान से निकलने वाला कोयला कई ग्रेड का होता है !उनके भाव भी अलग –अलग होते है !ज्वलनशीलता के हिसाब से हलके ,माध्यम और उच्च दर्जे का कोयला खदानों से निकलता है !बस फिर क्या था तत्काल अग्रवाल कोल कारपोरेशन डाल दी गयी ! अब कोयले को खदानों से खरीदना और उन्हें फेक्ट्रीयो और मिलो को सीधे बेचना और अपनी ट्रांसपोर्ट से पहुचाना! मतलब दोनों हाथ से सिर्फ और सिर्फ पैसा बटोरना !बस उसके बाद पुरुषोत्तम अग्रवाल ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा !कोयले और ट्रांसपोर्ट से कमाई बेतहाशा दौलत को शहर के बाहरी इलाको में जमीने खरीदने में लगाया और तेजी से बढ़ते शहरो और आसमान छूती जमीन की कीमतों ने पुरुषोत्तम अग्रवाल की 100 से ज्यादा कंपनियों के समूह को आज का अग्रवाल ग्रुप(agarwal group) बना दिया !
आई आई एफ एल हरून(iifl hurun) के द्वारा जारी भारत के सबसे अमीर लोगो की सूची में स्थान पाए विनोद अग्रवाल ,पुरुषोत्तम अग्रवाल के छोटे भाई है ! आज अग्रवाल ग्रुप के कोयले का पूरा बिजनेस भारत और विदेशो में इन्ही की कंपनी अग्रवाल कोल कारपोरेशन के तहत संचालित होता है !सिंगापूर में भी अग्रवाल कोल कारपोरेशन के नाम से इन्ही की कंपनी है जो विदेशो से कोयला खरीद कर भारत भेजती है !
भारत में कॉर्पोरेट जगत के समस्त हथकंडे ,साम ,दाम ! सरकार और सरकार के लोगो से नजदीकिया! धर्म के नाम पर दान –पूण्य! राजनीतिक पार्टियों को चंदा !कॉर्पोरेट धर्माचार्यो से नजदीकिया ! और धंधा ही सर्वोपरि है ! यदि ये किसी भी व्यवसायी के मूलमंत्र है तो वो भी भारत में 1000 करोड़ की संपत्ति का मालिक हो सकता है !?
@प्रदीप मिश्रा री डिस्कवर इण्डिया न्यूज़ इंदौर

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