सहायक आबकारी अधिकारी आलोक खरे और इसके विभागीय साथी 10 साल से लेकर आजीवन कारावास की कानूनी धाराओं के आरोपी है !

चोरी, जालसाजी, धोखाधड़ी और ब्लैक मैलिंग करने का अपराधी है सरकारी अफसर खरे

इंदौर, (री-डिस्कवर इंडिया न्यूज)। जनता के 100 करोड़ रुपए चोरी, जालसाजी, धोखाधड़ी, सरकारी और कानूनी ब्लैक मैलिंग से इक_ा करने वाले इस शातिर सरकारी अफसर सहायक आबकारी अधिकारी आलोक खरे को यदि न्यायालय से जमानत मिल जाएं तो लानत है इस देश के कानूनों और कानून बनाने वालों को!?
एक सरकारी अफसर और अधिकारी द्वारा सरकारी पद पर रहते हुए पद के अधीन मिली कानूनी शक्तियों, अधिकारों और कर्तव्यों का पालन कानूनी रूप से न कर एक शातिर अपराधी की तरह, एक सोची समझी अपराधिक योजना और मानसिकता के साथ अपने परिवार, रिश्तेदारों और विभागीय सहकर्मियों और अधिकारीयों के साथ संगमत होकर लोगों को डरा-धमकाकर उनके साथ जालसाजी, धोखाधड़ी और मिले अधिकारों और कानूनी शक्तियों की कूट रचना कर अपने और अपने साथियों के लाभ और बेईमानी से सरकारी संपत्ति को हड़पना, किसी दूसरे को चोरी करवाने में पूर्ण मदद करना और उसके लिए कानूनों की कूट रचना करना, सबूत मिटाना, राजस्व की चोरी से प्राप्त आय में हिस्सा रखना, उस हिस्से में परिवार और रिश्तेदारों के नाम से दस्तावेजों की कूट रचना कर अपने आधिपत्य में रखना! कैसे सिर्फ आय से अधिक संपत्ति का केस हो सकता है!
सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के पद पर रहते हुए किए गए भ्रष्टाचार के लिए सिर्फ प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 1988 के तहत आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का मुकदमा चलाना नाइंसाफी है! ऐसे अपराध के लिए भादवि की अपराधिक धाराओं 409, 420, 463, 467, 468, 471, 120 B, के अलावा सबूत को छिपाने, मिटाने के लिए 201 और सरकारी व कानूनों की धमकी देकर पैसे उगाने के लिए एक्सटॉरस न की धारा 385 और 387 के तहत मुकदमा दर्ज होना चाहिये!
इसका पुलिस रिमांड लेकर इससे उगलवाना चाहिए कि 100 करोड़ की संपत्ति कैसे और किन-किन लोगों से कौन-कौन से कानूनों का उल्लंघन करते हुए कि है! इसके विभाग के कौन-कौन अधिकारी और कर्मचारी और व्यापारी इसके साथ शामिल थे! उन सभी पर कानून की अपराधिक धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज होना चाहिये! तभी भारत को दीनहीन और अर्थव्यवस्था को चौपट बनाने वाला सरकारी भ्रष्टाचार खत्म होगा!

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