अब तहसीलदार और नायब तहसीलदार के ख़िलाफ़ नही हो सकेगी सिविल, दाण्डिक न्यायालीन या विभागीय कार्रवाई!

तहसीलदार और नायब तहसीलदार को न्यायाधीश मानते हुए न्यायाधीश (सरंक्षण) अधिनियम 1985 के तहत राज्य सरकार ने दिए सरंक्षण अधिकार!

मध्यप्रदेश शासन के राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव श्री मनीष रस्तोगी ने सभी जिले के कलेक्टर को 25 मार्च 2021 को पत्र लिखकर यह आदेशित किया है.

@प्रदीप मिश्रा री डिसकवर इंडिया न्यू्‍ज इंदौर

न्यायाधीश (सरंक्षण) अधिनियम 1985 की धारा 2 एवं 3 के अनुसार राजस्व न्यायालयो के समस्त पीठासीन अधिकारी जो मध्यप्रदेश भू राजस्व सहींता की धारा 31 अथवा किसी विधिक प्रावधान के अंतर्गत अर्ध न्यायिक या न्यायिक कारवाई कर रहे हैं , वो न्यायाधीश (सरंक्षण) अधिनियम 1985 की धारा 2 के अंतर्गत “न्यायाधीश” है. अतः इसलिए उन्हें पद पर रहते हुए उनके द्वारा किए गए किसी भी अर्ध न्यायिक या न्यायिक कारवाई के कार्य के विरुद्ध किसी भी सिविल या दाण्डिक या विभागीय कार्यवाही से अधिनियम की धारा 3(2) के अन्तर्गत सरंक्षण प्राप्त है!

इस कानूनी सरंक्षण प्राप्त होने से अब राजस्व विभाग के तहसीलदार और नायब तहसीलदार न्यायाधीश के रूप में मे अपना कार्य और कर्तव्य का पालन स्वतंत्र और निर्भीक से कर सकेंगे! इसकी मांग काफी लंबे समय से तहसीलदार और नायब तहसीलदार द्वारा की जा रही थी.

@प्रदीप मिश्रा री डिसकवर इंडिया न्यू्‍ज इंदौर

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