@री डिस्कवर इंडिया न्यूज इंदौर

अब कोई जॉनी हॉट डॉग, भंवरीलाल मिठाईवाला, सैनी पोहे वाला, रवि अल्पाहार, विजय चाट, मधुरम सैंडविच…….. पैदा नहीं होगा? और कोई सब्जी और फल, चाय या अंडे बेचने वाला सफलता के शीर्ष पर पहुंचने की मिसाल कायम कर सकेगा?

 

मध्यप्रदेश सरकार 1 करोड़ 26 लाख महिलाओं के परिवारों के जीविका और स्व रोजगार को बिना कोई वैकल्पिक जगह दिए अतिक्रमण के नाम पर नेस्तनाबूद कर रही हैं?

आज इंदौर में कई ऐसे नामचीन फूड स्टॉल, कचौरी, समोसे बेचने वाले, सब्जी और फल बेचने वाले जो कभी सड़कों, फुटपाथों और चौराहे के किनारों पर ठेले, गुमटी या छपरी लगाते थे उन्होंने बीते दो दशक में आर्थिक उन्नति का वो मुकाम हासिल किया है जो किसी उद्योगपति की सम्पन्नता और वित्तीय क्षमता को भी मात दे दे! 

ये लोग अति गरीब परिवारों से आते थे और सड़को, फुटपाथों पर छोटे छोटे काम कर आज करोड़ो अरबों के साम्राज्य के मालिक बन चुके है।

आज इंदौर 56 दुकान और सराफा चौपाटी की वजह से देश दुनियां में पहचाना जाता हैं। कौन लोग हैं, किसकी दुकानें हैं 56 और सराफा चौपाटी में? ये वही लोग हैं जिन्होंने कभी गरीब और दो जून की रोटी जुटाने के लिए सड़को, फुटपाथों और गुमटियों से शुरूआत की थी। आज करोड़ो की दुकानें, मकान, और गाड़ी घोड़े खरीदने की हैसियत रखते है।

लेकिन आज सरकार क्या कर रही हैं? ग़रीब, मेहनती लोगो से उनके जीविका और रोजगार करने के अधिकार से वंचित करने पर आमादा है। स्मार्ट सिटी,सरकारी जमीन पर अतिक्रमण और ट्रैफिक जाम के नाम पर हजारों फल, सब्जी, चाट और अनगिनत फूड स्टॉल वाले को बिना कोई जगह,दुकान या बाजार मुहैया करवाए उन्हें सड़क किनारे से नेस्तनाबूद कर रही हैं?

वहीं दूसरी तरफ़ 1890 करोड़ रूपए हर महीने मध्यप्रदेश सरकार लाडली बहना के नाम पर सिर्फ बर्बाद कर रही हैं?

लाडली बहनों के खाते मे हर माह 1890 करोड़ रुपए डालने से अच्छा है कि उन्हें 10 बाय 6 फीट की दुकान या इससे कम क्षेत्र फल के लिए जमीन खरीद कर सरकार दे दे। प्रदेश की प्रत्येक महिला और उसका परिवार 20 हजार से लेकर 50 हजार रुपए महीना कमा लेगा।

मध्यप्रदेश सरकार 1 करोड़ 26 लाख महिलाओं के खाते मे हर महीने 1500 रूपये डालती है, इस तरह कुल 1890 करोड़ रूपए हर महीने। मतलब 22680 करोड़ रूपए हर साल!

मध्यप्रदेश में कुल 55 जिले और तकरीबन 430 तहसील है। 430 तहसीलों में मध्यप्रदेश के सारे बड़े शहर और कस्बे आते है। 

1890 करोड़ रूपए हर महीने जो मध्यप्रदेश सरकार हर महीने लाडली बहना के नाम से सीधे गरीब और निम्न मध्यमवर्गीय महिलाओं के बैंक खातों में डाल रही हैं!

इतनी बड़ी रकम से खुद सरकार प्रदेश के हर शहर और कस्बे में प्रत्येक महिला को रोजगार के लिए 10 बाय 6 या 8 फीट की दुकान डालने के लिए जमीन बाजार से खरीद कर दे सकती है। जहां पर कोई भी महिला या उसका परिवार व्यवसाय कर 20 से 30 हजार या उससे भी ज्यादा कमा सकता हैं।

इन 1 करोड़ 26 लाख महिलाओं में से तकरीबन 80 फीसदी महिलाएं गरीब और निम्न वर्ग के परिवारों से आती हैं। इनके परिवार के पुरुष या ये खुद स्वयं शहरों और कस्बों में सड़क किनारे सब्जी, फल, फूल,अंडे की दुकान, चाय – नाश्ते, चाट, पानी पताशे के ठेले, टू व्हीलर्स और कार के छोटे गैरेज, हस्तशिल्प और त्योहारों के सीज़न में लगने वाले सामान बेच कर अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं।

शहरों और कस्बों की जनता की रोज़मर्रा की जरूरतों के लिए ये अनिवार्य है।

यही 1 करोड़ 26 लख लोगो की आर्थिक उन्नति और वित्तीय सम्पन्नता पर शहरों का रियल एस्टेट बाजार से लेकर हर बाजार टिका हुआ है। यदि ये बर्बाद हो गए या सरकार की रेवड़ी पर जिंदा रहे तो प्रदेश का हर क्षेत्र का बिज़नेस और बिजनेस मेन तबाह हो जाएगा।

@प्रदीप मिश्रा री डिस्कवर इंडिया न्यूज इंदौर

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