लताड़: जो लोग छोटी बच्चियों के साथ बलत्कार करते हैं
नई दिल्ली। दिल्ली में बच्चों के साथ बढ़ रहे बलात्कार के मामलों के चलते सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपने एक फैसले के दौरान कहा कि जो लोग बच्चों का रेप करते हैं वे जानवर से ज्यादा कुछ भी नहीं हैं। ऐसे लोगों के प्रति किसी भी तरह की दया नहीं दिखानी चाहिए। कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश के एक गांव में 10 साल की बच्ची से रेप करने वाले 35 साल के कुलदीप कुमार की 10 साल की सजा बरकरार रखी। इसी दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह तीखी टिप्पणी भी की। चीफ जस्टिस एचएल दत्तू और अमिताभ रॉय की बेंच ने कहा यह अपराध माफी के लायक नहीं है। जो लोग मासूम बच्चियों का यौन शोषण करते हैं, वे जानवर के समान हैं। उनके प्रति कोर्ट को दया नहीं दिखानी चाहिए। ज्ञात रहे दो हफ्ते में दिल्ली में दो से पांच साल की तीन बच्चियों के साथ रेप के मामले सामने आ चुके हैं।
रेपिस्टों को बना दो नपुंसक
मद्रास हाईकोर्ट ने बच्चों के साथ बढ़ रहे रेप के मामलों पर रोक लगाने के लिए सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि दोषियों को नपुंसक बना देना चाहिए। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से ऐसे दोषियों को नपुंसक करने की सजा पर विचार करने को कहा है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि बच्चों के साथ इस तरह की हरकतें देश में सजा के क्रूरतम मॉडल को आकर्षित करती हैं। अदालत ने बेहद तल्ख शब्दों में कहा कि भारत के विभिन्न हिस्सों में बच्चों से गैंगरेप की वीभत्स घटनाओं को लेकर अदालत बेखबर या मूकदर्शक बना नहीं रह सकती।
जस्टिस एन. किरूबकरन ने कहा कि हर किसी को समाज की इस सचाई को समझना होगा और कड़ी सजा पर ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम (पोक्सो) जैसे कड़े कानून होने के बावजूद बच्चों के खिलाफ अपराध बढ़ रहा है। साल 2012 और 2014 के बीच ऐसे अपराधों की संख्या 38,172 से बढ़कर 89,423 तक पहुंच गई है। कोर्ट ने यह भी कहा कि बहुत से लोग इस बात से सहमत नहीं होंगे, लेकिन परंपरागत कानून ऐसे मामलों में सकारात्मक परिणाम नहीं दे सके हैं। अदालत ने कहा कि नपुंसक करने का सुझाव बर्बर लग सकता है, लेकिन इस प्रकार के क्रूर अपराध ऐसी ही बर्बर सजा देने से जादुई नतीजे देखने को मिलेंगे। कोर्ट ने कहा कि रूस, पोलैंड और अमेरिका के नौ राज्यों में ऐसे अपराधियों को नपुंसक करने का प्रावधान है। कोर्ट ने तमिलनाडु के15 वर्षीय एक बच्चे के यौन शोषण के आरोपी एक ब्रिटिश नागरिक द्वारा मामला रद्द करने के लिए दायर याचिका को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान राजधानी दिल्ली में पिछले सप्ताह दो बच्चियों से गैंगरेप के मामलों को संज्ञान में लेते हुए यह बात कही। हाईकोर्ट के जज ने ऐसे मामलों को ‘खून जमा देने वालाÓ करार देते हुए कहा कि ऐसे क्रूर अपराधियों के लिए बधिया किया जाना ही एक सजा हो सकती है। जज ने इस बात की ओर भी ध्यान दिलाया कि बच्चों से रेप करने के मामलों में सिर्फ 2.4 प्रतिशत लोग ही दोषी ठहराए जाते हैं।