@प्रदीप मिश्रा री डिस्कवर इंडिया न्यू्‍ज इंदौर

डॉ. विनोद भंडारी और पोखरना बंधुओ ने जिस जमीन के सड़क अधिग्रहण के नाम पर करोड़ों रुपए मुआवजा सरकार से लिया क्या वाकई उस जमीन का इंदौर – उज्जैन सड़क निर्माण के लिए अधिग्रहण और इस्तेमाल हुआ है?

क्या अरबिंदो मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल के सामने इंदौर उज्जैन फोरलेन हाइवे की चौड़ाई 1000 फीट है (304 मीटर) है? यह मध्यप्रदेश सरकार बताए। 

क्यों मध्यप्रदेश सरकार ने अरबिंदो हॉस्पिटल के सामने की सड़क के दूसरी तरफ तकरीबन 165 फीट लंबी और 466 स्क्वेयर फीट जमीन को काग़ज़ों पर अधिग्रहित कर सिर्फ 24,756 स्क्वेयर फीट का करोड़ों रुपए मुआवजा डॉ. विनोद भंडारी, मंजुश्री भंडारी, अभय पोखरना, अनिल पोखरना ने करोड़ों रुपए का मुआवजा बांट दिया और उन्होंने ले लिया?

जबकि काग़ज़ों पर अधिग्रहित जमीन का इस्तेमाल सड़क निर्माण मे हुआ ही नहीं है! ऐसा शिकायत कर्ता और सन 1980 से खसरा नंबर 158 के सन 1980 से काबिज राजेश तिवारी का आला अधिकारियों को लिखित शिकायतों के माध्यम से जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए कई आवेदन लंबित है?

इंदौर उज्जैन फोरलेन सड़क मार्ग के निर्माण में, अरविंदो हॉस्पीटल और मेडिकल कॉलेज के सामने की जिस जमीन के खसरो मे डॉ विनोद भंडारी और पोखरना बंधु जिस विवादास्पद “हाईलाइन हेरिटेज” और “हाईलाइन फार्च्यून” के नाम से मल्टी ड्वेलिंग रियल एस्टेट प्रोजेक्ट का निर्माण कर रहे हैं! उन खसरो मे से कुल 24,756 स्क्वेयर फीट जमीन भू अर्जन अधिकारी तहसील साँवेर के सन 2007 – 08 के आदेश के तहत इंदौर उज्जैन फोरलेन सड़क मार्ग के निर्माण के लिए दिनांक 15.10.2008 को मध्यप्रदेश सरकार ने अधिग्रहण किया था!

और दिनांक 22.10.2010 को अधिग्रहण की गई जमीन का मुआवजा आदेश जमीन को असिंचित मानते हुए पारित कर दिया था। डॉ. विनोद भंडारी, मंजू श्रीं भंडारी, अभय पोखरना, अनिल पोखरना, उमेश त्रिवेदी और रश्मि त्रिवेदी के नाम के कुल 4 खसरे क्रमशः 159/1/2/1, 159/1/2/2, 159/1/2/3, 159/1/1/1 कुल रकबा 3.508 हेक्टेयर था इसमे से 0.230 हेक्टर (24,756 स्क्वेयर फीट) फोरलेन सड़क के लिए अधिग्रहण करना सरकारी दस्तावेजों मे बताया गया है!

अरबिंदो हॉस्पिटल और मेडिकल कॉलेज के सामने की लगी हुई जमीन पर बने इंदौर उज्जैन फोरलेन हाइवे की कुल चौड़ाई 75 मीटर मतलब 246 फीट निर्धारित की गई थी। 

यहां यह बात गौर करने की है कि ठीक अरबिंदो हॉस्पिटल और मेडिकल कॉलेज के सामने बन रहे डॉ विनोद भंडारी और पोखरना बंधुओ के मल्टि ड्वेलिंग रियल एस्टेट प्रोजेक्ट और इंदौर उज्जैन फोरलेन हाइवे के बीच हाईवे से लगा खसरा 158 (158/1, 158/2, 158/3 और 158/4) कुल रकबा 0.4850 हेक्टेयर (52,204 स्क्वेयर फीट) का स्थित है!

जिसे सरकारी खसरे बताकर सरकार ने अधिग्रहण कर लिया है! जिस पर शिकायत कर्ता राजेश तिवारी का सन 1980 से आबादी कब्जा था! इस अधिग्रहित 158 नंबर खसरे से लगे खसरे 159 के बटाकंन खसरे डॉ. विनोद भंडारी और पोखरना बंधुओ के रियल एस्टेट प्रोजेक्ट के खसरे है!

इस तरह अरबिंदो हॉस्पिटल और मेडिकल कॉलेज के सामने बने 75 मीटर मतलब 246 फीट चौड़ाई के हाइवे के खसरा नंबर 158 की तरफ वाले खसरे की तरफ कुल (76,960 स्क्वेयर फीट – 52,204 स्क्वेयर फीट खसरा नंबर 158 की जमीन + 24,756 स्क्वेयर फीट डॉ. विनोद भंडारी और पोखरना बंधुओ की जमीन) सरकार द्वारा अधिग्रहित की गई!

अब सबसे महत्वपूर्ण और ध्यान देने वाली बात यह है कि सड़क निर्माण के लिए जमीन लंबाई और चौड़ाई के गुणित क्षेत्रफल के आधार ली जाती है। 

खसरा नंबर 158 और डॉ. विनोद भंडारी और पोखरना बंधुओ की अधिग्रहित जमीन के खसरो की लंबाई तकरीबन औसतन 165 फीट और चौड़ाई 466 फीट है! इन दोनों लंबाई और चौड़ाई का गुणा करेंगे तो खसरा नंबर 158 और डॉ. विनोद भंडारी एवं पोखरना बंधुओ की कुल सड़क निर्माण के लिए सरकार द्वारा अधिग्रहित जमीन का क्षेत्रफल आ जाएगा जो ऊपर बताया गया है!

यहां पर यह गंभीर जांच का विषय है कि जब अरबिंदो मेडिकल कालेज और हॉस्पिटल के सामने 75 मीटर (246 फीट) चौड़ाई की इंदौर उज्जैन फोरलेन सड़क के लिए, सड़क से लगी खसरा नंबर 158 की जमीन ही काफी थी तो काग़ज़ों पर किस आधार पर डॉ. विनोद भंडारी और पोखरना बंधुओ की मात्र 0.230 हेक्टेयर (165 *150 स्क्वेयर फीट) को सरकार ने अधिग्रहण बताया और कैसे डॉ. विनोद भंडारी, मंजुश्री भंडारी, अभय पोखरना, अनिल पोखरना ने करोड़ों रुपए का मुआवजा ले लिया?

@प्रदीप मिश्रा री डिस्कवर इंडिया न्यूज इंदौर

One thought on “डॉ. विनोद भंडारी और पोखरना बंधुओ ने जिस जमीन के सड़क अधिग्रहण के नाम पर करोड़ों रुपए मुआवजा सरकार से लिया क्या वाकई उस जमीन का इंदौर – उज्जैन सड़क निर्माण के लिए अधिग्रहण और इस्तेमाल हुआ है?”
  1. मुलताई में कुछ बैंक, कुछ शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बिना पार्किंग के संचालित हो रहे हैं, तथा कुछ लोगों ने पार्किंग के लिए जगह बहुत कम दी है। जो वाहन पार्किंग के लिए पर्याप्त नहीं है। इससे ग्राहको को वाहन खड़े करने में बहुत परेशानी होती है। आखिर बिना पार्किंग के बैंक कैसे संचालित हो रहे हैं। ये तो नियमों का उल्लघंन हो रहा है। सड़क किनारे वाहन खड़े करने से यातायात व्यवस्था प्रभावित होती है। कई बार दुर्घटना तक हो जाती है। सरकारी जमीन पर वाहन खड़े हो रहे हैं । जबकि जिस भवन मे बैंक संचालित होती है उसकी स्वयं की पार्किंग होना जरूरी है। मुलताई में संचालित सभी बैंकों की पार्किंग व्यवस्था की जांच होना चाहिए।
    कुछ बेसमेंट बिना अनुमति के बने हैं। कुछ व्यावसायिक भवनों के नक्शे बिना पार्किंग दिए पास हुए हैं। कुछ लोगों ने सरकारी जमीन पर पक्का अतिक्रमण कर लिया है। जांच होना चाहिए।
    रवि खवसे, मुलताई (मध्यप्रदेश)

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