@री डिस्कवर इंडिया न्यूज इंदौर

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने अपराधी को माफ कर न सिर्फ कानून के राज का मखौल उड़ाया है! वरन देश के सर्वोच्च न्यायालय से लेकर जिला न्यायालय तक की गरिमा, सम्मान और प्रभुत्व को खतरे में डाल दिया है?

देश के सर्वोच्च न्यायालय “सुप्रीम कोर्ट” की गरिमा, सुचिता और रूल ऑफ लॉ को स्थापित करने की उम्मीद के अंतिम स्तंभ पर ख़ुद सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने सोमवार को हुई घटना को सामान्य घटना बताकर अंतिम बुलडोजर चला दिया है?
क्या देश का चीफ जस्टिस एक सामान्य व्यक्ति है? और सुप्रीम कोर्ट का कोर्ट रूम कोई चाय और पान की दुकान है?
क्या देश की सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट का चीफ जस्टिस न्यायालयीन समय में, न्याय की कुर्सी पर बैठकर एक सामान्य व्यक्ति की तरह फैसला ले सकता हैं? सोच सकता हैं? या किसी विषय या घटना पर टिप्पणी या अपनी राय रख सकता हैं?
घटना जहां घटित हुई वो सुप्रीम कोर्ट का कमरा जिसे सुप्रीम कोर्ट में कोर्ट नंबर 1 कहते है क्या चाय – पान की दुकान है?
जूता फेंककर चीफ जस्टिस को मारने का प्रयास करने वाला वकील क्या कोई ऐरा ग़ैरा साधारण व्यक्ति था जिसे कानून का ज्ञान नहीं हैं?
तो फिर कैसे और किस कानूनी प्रावधान के तहत भूषण रामकृष्ण गवई (बी.आर. गवई) ने चीफ जस्टिस के पद पर! न्यायालय की गद्दी से बैठकर जस्टिस के तौर पर कहा कि इससे मुझे कोई फर्क नही पड़ता?
किस कानूनी प्रावधान के तहत देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट रूम में चलती बहस के दौरान चीफ़ जस्टिस को जूते से मारने के अपराधिक प्रयास करने वाले आरोपी न्यायविद वकील को पुलिस की गिरफ्त से छुड़वाया?
क्या यह एक सामान्य घटना है? किस कानूनी प्रावधान के तहत पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस पर हमले का प्रयास करने वाले वकील आरोपी को पकड़कर जूते सहित छोड़ दिया?
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट रूम में एक वकील ने मुख्य न्यायाधीश पर हमला करने की कोशिश की, वकील सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट रूम में घुस गया और कथित तौर पर भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बी.आर. गवई पर हमला करने के इरादे से जूता फेंकने की कोशिश की। 
वहां मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने उसे पकड़ लिया और कोर्ट रूम से बाहर ले गए। बाहर जाते वक्त वकील ने नारा लगाया – सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान।
घटना के बाद CJI ने अदालत में मौजूद वकीलों से अपनी दलीलें जारी रखने को कहा। उन्होंने कहा कि इस सबसे परेशान न हों। मैं भी परेशान नहीं हूं, इन चीजों से मुझे फर्क नहीं पड़ता। इस घोर निन्दनीय घटना के बाद सीजेआई के कहने पर पुलिस ने आरोपी वकील को छोड़ दिया है। उनका जूता और अन्य सामान भी लौटा दिया है। सीजेआई ने कहा कि हम ऐसे मामलों से विचलित नहीं होंगे!
@प्रदीप मिश्रा री डिस्कवर इंडिया न्यूज इंदौर

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