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स्वास्थ्य अधिकारियों की मिलीभगत
भोपाल। जिन दवा कंपनियों के कारण सरकार को पूर्व में जनता से खरी-खोटी सुनना पड़ी थी, उन्हीं कंपनियों को मेडिकल सर्विसेज कंपनी (एमएससी) के कुछ अधिकारी फिर से उपकृत करने की तैयारी में जुटे हैं। ये दवा कंपनियां वे हैं जिनकी दवाइयों में कॉकरोच व फफूंद तक निकल चुके हैं। कुछ कंपनियां ऐसी भी हैं जो ठेका लेने के बावजूद जनता तक दवा ही नहीं पहुंचा सकी। नियम के अनुसार तो इन्हें प्रदेश में ब्लैकलिस्टेड कर देना चाहिए, लेकिन सरकार द्वारा दवा सप्लाई के लिए बुलाए गए टेंडरों में ये कंपनियां शामिल हो गई हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की की लापरवाही से कई मरीजों को कुछ दवाओं के लिए अभी भी भटकना पड़ रहा है। जनता के इस दर्द की परवाह किए बगैर कुछ अधिकारी सिर्फ अपनी जुगत जमाने के लिए अनियमितता बरतने वाली कंपनियों को ठेका दिलाने का प्रयास कर रहे हैं।
एमएससी द्वारा उन दवा कंपनियों को दवा सप्लाई का ऑर्डर दिया जा रहा है, जो पूर्व में दवा सप्लाई में कई बार खरी नहीं उतरी हैं। करीब 140 करोड़ रुपए की दवाइयों के लिए कुछ दिनों पहले टेंडर बुलाए हैं।
वन अधिकारी को बना दिया प्रभारी
एमएससी के डायरेक्टर प्रताप सिंह हैं। मूल रूप से वह भारतीय वन सेवा के अधिकारी हैं, जिनकी यहां नियुक्ति शुरू से ही विवादों में है। उनके कार्यकाल में अनेक घोटाले हुए हैं। विभाग के टेक्निकल डायरेक्टर स्वागत साहू पर भी कई आरोप लगाए जाते रहे हैं।
सरकार के दामन पर लगाएंगे दाग
आरोपी कंपनियों को ठेका दिलाकर कतिपय अधिकारी फिर एक बार सरकार के दामन पर दाग लगाने की तैयारी कर रहे हैं। यदि कोई घटना होती है, तो सरकार पर आंच आएगी। केंद्र सरकार भी दवाइयों के मानक स्तर को लेकर सख्त हो रही है।
किस कंपनी की क्या खामियां
सायनो फॉर्मा

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फरवरी में सायनो फॉर्मा द्वारा की गई दवा सप्लाई में सिरप की बॉटल में कॉकरोच मिला। वहीं कई बार इस कंपनी ने तय मात्रा में दवाई सप्लाई नहीं की और भुगतान पूरा लिया गया।

डीजे लेबोरेटरी

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जुलाई में इस कंपनी द्वारा सप्लाई की गई ग्लूकोज रिंगर लेक्टर आईवी फ्लूूड की बॉटल में फफूंद लगा पाया गया। फफूंद मिलने पर दवा स्टॉक के उपयोग पर रोक लगा दी गई। दवा निर्माण की जांच में भी यह कंपनी संदिग्ध पाई गई।

ओम बायोमेडिक

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इस कंपनी को कई बार एमएससी ने दवा सप्लाई का ठेका दिया, लेकिन इसने कई मर्तबा दवा सप्लाई ही नहीं की। जो दवा सप्लाई की वह भी आधी ही की। वहीं कंपनी की दवा का कई बार बैच फेल भी हुआ।

जैकसन लैबोरेटरिस

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इस कंपनी ने कई बार दवा सप्लाई तय समय पर नहीं की। इस वजह से सरकारी अस्पतालों में लोग दवा के लिए भटकते देखे गए। वहीं कई बार जांच में भी दवा गलत पाई गई।

ओमेगा बायोटेक

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इस कंपनी की दवा में कई बार खामियां पाई गई। इसके बैच फेल हुए, कंपनी न दवाइयां भी पूरी सप्लाई नहीं की। वहीं कई बार टेंडर पाने के बाद इसने कई दवाएं सप्लाई ही नहीं की है।

रोक के बाद भी भर दिया टेंडर
बीते साल ओमेगा बायोटेक कंपनी की दवा में खामियां पाए जाने पर शासन ने कार्रवाई करते हुए ओमेगा बायोटेक कंपनी को 3 साल टेंडर नहीं भरने का आदेश जारी किया। इसके बाद भी हाल ही में जारी हुए 140 करोड़ रुपए की दवा सप्लाई के टेंडर में यह कंपनी शामिल हुई है।
कंपनियां ऐसे होती हैं ब्लैकलिस्टेड

  • दवा सप्लाई न करने पर
  • दवाओं में खामियां पाए जाने पर
  • तय समय सीमा के अंदर
  • पूरी दवा नहीं सप्लाई करने पर
  • दवा का बैच फेल होने पर
  • कंपनी के कागजात पूरे नहीं होने पर
  • दूसरी दवा सप्लाई करने पर
One thought on “ब्लैक लिस्टेड दवा कंपनियों पर फिर होगी मेहरबानी”

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