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सत्य, प्रेम और सेवा का मार्ग दिखाने वाले श्री गुरुनानक देव जी के चरणों मे कोटि कोटि नमन – भाटिया कोल ग्रुप BCC हाउस इंदौर।

गुरुनानक देव जी के जन्मदिन के 556 वे प्रकाश पर्व पर समस्त देशवासियों को लख – लख बधाइयां।
पंद्रहवीं शताब्दी का वह भारत जहां जाति, धर्म और असमानता की दीवारें ऊंची थीं, तब तलवंडी की पावन भूमि पर 1469 में श्री गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था।
उन्होंने मानवता को संदेश दिया- ‘एक ओंकार सतनाम। ईश्वर एक है, सत्य उसका नाम है।’ उन्होंने सम्पूर्ण मानवता के लिए नई राह दिखाई। ऊंच नीच, जात पात, व धर्म पंथ से ऊपर उठकर एक अच्छा और सच्चा नागरिक बनने की प्रेरणा गुरुनानक जी के जीवन, आचरण और संदेशों से प्राप्त होती है। उन्होंने बताया कि ईश्वर कोई दूर का देवता नहीं, बल्कि हर हृदय में निवास करने वाला सत्य है। वे कहते थे सच्चा वह है जो सत्य को जिए, केवल बोले नहीं। उनके लिए धर्म, कर्मकांड नहीं बल्कि सत्य को जीवन में उतारना था। 
गुरु नानक देव जी ने संसार को सिखाया- ईश्वर एक है। वही सृष्टिकर्ता है, वही पालनकर्ता। सब जीव उसी के अंश हैं। उन्होंने भेद-भाव, ऊंच-नीच, मजहब-भेद की सारी दीवारें गिरा दीं। उनका ‘एक ओंकार’ केवल शब्द नहीं, बल्कि मानव एकता का शाश्वत सूत्र है।
उन्होंने कहा था – ईश्वर को याद करना केवल मंदिर-मस्जिद की बात नहीं, बल्कि हर सांस में उसे महसूस करना है। उनकी वाणी में भक्ति और कविता का संगम था। जब वे गाते, तो वह गान नहीं, साधना बन जाता। उनके भजनों की पवित्रता जपुजी साहिब में गूंजती है।
गुरु नानक देव जी ने कहा – मेहनत से जीविका अर्जित करनी चाहिए, किसी के शोषण से नहीं। ईमानदार कमाई ही सच्ची पूजा है।
उन्होंने सिखाया कि अपनी रोटी में किसी भूखे का हिस्सा जरूर हो। दूसरों के साथ बांटना ही भक्ति का सर्वोच्च रूप है। गुरु जी कहते थे कि जरूरतमंद के साथ अपने संसाधन साझा करो। यही भावना आगे चलकर लंगर की परंपरा बनी, जो आज भी समानता और सेवा का जीवंत प्रतीक है।
उनकी दृष्टि में हर मानव चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या लिंग का हो- प्रभु का अंश था।
@प्रदीप मिश्रा री डिस्कवर इंडिया न्यूज इंदौर 

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