@री डिस्कवर इंडिया न्यूज इंदौर
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अभी मुख्यमंत्री बनने की ट्रेनिंग ले रहे हैं। चुपचाप सब सहन करते और सहते जाओ।

क्या मध्यप्रदेश कोई मुख्यमंत्री की ट्रेनिंग या कोचिंग देने की प्रयोगशाला या कोचिंग सेंटर है। यह प्रदेश की जनता और भाजपा के लाखों कार्यकर्ता बताए?
मध्यप्रदेश की सड़कों पर, किसी भी सरकारी महकमे में, पुलिस विभाग में या कही भी जहां सरकारी सिस्टम काम करता हैं मुख्यमंत्री की सरकार पिछले 2 सालों में किसी को देखने को मिली है?
कभी मुख्यमंत्री को प्रदेश में किसी भी जनता से जुड़े मुद्दे पर दहाड़ते हुए सुना है? पूरे सरकारी सिस्टम और उनके आला अधिकारियों को उल्टा लटका दूंगा कि चेतावनी देते हुए किसी जिले में मीडिया के सामने कहते सुना है?
किसी भू माफिया, शराब माफिया, ड्रग माफिया, गुंडे, अपराधिक तत्वों और गैंगस्टर माफियाओ की कमर तोड़ने के आदेश देते हुए कोई घोषणा सुनी है?
शायद नहीं। क्योंकि डॉ मोहन यादव अभी मुख्यमंत्री की ट्रेनिंग ले रहे हैं।
और उन्हें ट्रेनिंग दे रहे है रिटायर्ड हो चुके चीफ सेक्रेटरी और उनकी केबिनेट में बैठे प्रदेश के वरिष्ठ और राजनीति के माहिर खिलाड़ी केबीनेट मंत्री। और पूरी ट्रेनिंग की मॉनिटरिंग हो रही हैं दिल्ली में बैठे भाजपा शिरोमणि अमित शाह और मोदी जी द्वारा, क्योंकि नए और कम अनुभवी नेताओं को 2014 के बाद बदलते भारत में पहले सीधे मुख्यमंत्री बना कर जनता को और कार्यकर्ताओं को चौंका दिया जाए! और फिर जनता और प्रदेश को मुख्यमंत्री की ट्रेनिंग की प्रयोगशाला या कोचिंग सेंटर बना दिया जाए।क्योंकि यह नया भारत है।
मध्यप्रदेश में अराजकता, भ्रष्टाचार, वसूली और अपराधिक कृत्य, आपराधिक तत्वों से ज्यादा प्रदेश का पूरा प्रशासनिक, सरकारी और पुलिसिया तंत्र कर रहा हैं। और इसके लिए जिम्मेदार मुख्यमंत्री के सिर्फ “पद” पर बिठाए गए डॉ मोहन यादव नहीं है।
प्रदेश की पूरी लोकतांत्रिक व्यवस्था का मजाक बनाकर रख दिया है अमित शाह और नरेंद्र मोदी ने। या तो मुख्यमंत्री को सरकार चलाने की पूरी शक्तियां और अधिकार दो या किसी ऐसे अनुभवी और कुशल नेता को मुख्यमंत्री बनाओ जो प्रदेश मे सरकार का इकबाल बुलंद करने की क्षमता रखता हो। जिससे मुख्यमंत्री की सरकार जनता के प्रति जवाबदेह हो।
प्रदेश कोई मुख्यमंत्री की ट्रेनिंग या कोचिंग देने की प्रयोगशाला या कोचिंग सेंटर नहीं है। कि अपने राजनैतिक फायदे के लिए किसी को भी उठाकर सीधे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठा दिया।
सालों से दिल्ली में केंद्र सरकार में वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी को जिनके रिटायरमेंट को मात्र 1 साल बचा था, को प्रदेश का चीफ सेक्रेटरी बनाकर पूरा प्रशासनिक और सरकारी तंत्र सौंप दिया। और रिटायर्ड होने के बाद फिर 1 साल का एक्सटेंशन दे दिया। ऐसे चलेगी सरकार?
@प्रदीप मिश्रा री डिस्कवर इंडिया न्यूज इंदौर